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Tamil Nadu Assembly Elections 2021: जलीकट्टू पर सियासी राग और बिरयानी पर पहरा

Tamil Nadu Assembly Elections 2021 : मदुरै में वादों की बौछार ।10 विधानसभा सीटों वाला मदुरै जिला राजनीतिक रूप से भी अत्यंत जागरूक है।जलीकट्टू पर बैन और उसके बाद के आंदोलनों के दौरान हुई सरकारी सख्ती को लेकर लोगों में अब भी गुस्सा झलकता है।

नई दिल्लीApr 06, 2021 / 10:56 am

विकास गुप्ता

Tamil Nadu Assembly Elections 2021: जलीकट्टू पर सियासी राग और बिरयानी पर पहरा

Tamil Nadu Assembly Elections 2021: जलीकट्टू पर सियासी राग और बिरयानी पर पहरा

मदुरै (तमिलनाडु) से राजेन्द्र गहरवार

Tamil Nadu Assembly Elections 2021 तमिलनाडु में चेन्नई के बाद सीटों की संख्या के मामले में दूसरे सबसे बड़े जिले मदुरै में चुनावी वादों के बाद जलीकट्टू और बिरयानी की सबसे अधिक चर्चा है। जलीकट्टू पर बैन और उसके बाद के आंदोलनों के दौरान हुई सरकारी सख्ती को लेकर लोगों में अब भी गुस्सा झलकता है। वहीं, खाने की चीजों के जरिए वोटरों को प्रभावित करने पर चुनाव आयोग द्वारा निगरानी बढ़ाए जाने से इसकी जद में बिरयानी आ गई है। इससे कारोबारियों का धंधा मंदा पड़ गया और उनमें नाराजगी है।

देश के प्राचीनतम शहरों में एक मदुरै मीनाक्षी-सुंदरेश्वर मंदिर के लिए दुनिया भर में विख्यात है। 10 विधानसभा सीटों वाला मदुरै जिला राजनीतिक रूप से भी अत्यंत जागरूक है। चुनाव प्रचार अभियान के आखिरी दौर में सभी दलों ने वादों की ऐसी झड़ी लगाई कि एक निर्दलीय प्रत्याशी चांद पर सैर का पैकेज लेकर आ गए। लेकिन सबसे अधिक चर्चा जलीकट्टू को लेकर हुई। इस मामले में 2017 से ही घिरती आ रही अन्नाद्रमुक चुनाव के दौरान भी बैकफुट पर ही रही।

मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी ने हर दौरे में जलीकट्टू पर रोक नहीं लगाने की दुहाई दी और 2017 के बाद हुए आंदोलनों के दौरान दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने की घोषणा की। वहीं, अन्नाद्रमुक की सहयोगी भाजपा भी इस पर सफाई देती रही। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में जलीकट्टू को परंपरा का हिस्सा बताया। तो द्रमुक और कांग्रेस ने जलीकट्टू पर प्रतिबंध और ज्यादती को मुद्दा बनाया है। हालांकि पवित्र नदी वागई की बदहाली और पानी का संकट यहां की सबसे बड़ी समस्याओं में है। मदुरै के ईश्वरन कहते हैं कि इतने बड़े शहर में अब भी वॉटर सप्लाई पूरी नहीं है। ट्रैफिक जाम ने मुश्किल खड़ी कर रखी है। वहीं, आर सुंदरराजन कहते हैं कि वागई नदी को सरकार ने डंपिंग पॉइंट बना दिया है।

द्रविड़ दलों में सीधा मुकाबला-
मदुरै की दस विधानसभा सीटों में से दो को छोड़कर द्रविड़ दलों द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच सीधा मुकाबला है। द्रमुक ने एक सीट कम्युनिस्ट पार्टी को दी है तो अन्नाद्रमुक ने मदुरै उत्तर समझौते में भाजपा को दी है। 2016 में 10 में से 7 सीटें अन्नाद्रमुक और 3 सीटें द्रमुक को मिली थीं। दोनों दलों को पता है कि तमिलनाडु की सत्ता का रास्ता मदुरै होकर ही जाता है इसलिए पूरी ताकत झोंक दी है। जिले से दो मंत्री पलानीसामी सरकार की कैबिनेट में रहे हैं, जो एक बार फिर मैदान में हैं पर मदुरै भर ही नहीं बल्कि इस पूरे रीजन में उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। एसआर जानकी कहते हैं, दो मंत्रियों के होते हुए भी प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हुए, शहर का बड़ा हिस्सा उखड़ा हुआ है। धूल दम घोट रही है।

चर्चा में है निर्दलीय ट्रांसजेंडर प्रत्याशी-
सबसे अधिक चर्चा मदुरै दक्षिण सीट से निर्दलीय प्रत्याशी आर सरवनन व ट्रांसजेंडर भारती कन्नमा की है। भारती तमिलनाडु चुनाव में उतरे प्रत्याशियों में सर्वाधिक पढ़ी-लिखी हैं। भारती कहती हैं, उनके आगे-पीछे कोई नहीं है इसलिए भ्रष्ट नेताओं के लिए वे सही जवाब बनेंगी। वहीं सरवनन 20 हजार रुपए उधार लेकर चुनाव मैदान में उतरे हैं पर वे मतदाताओं से मिनी हेलिकॉप्टर, चांद की सैर कराने जैसे वादे कर रहे हैं।

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