उत्तर प्रदेश विधानसभा शुक्रवार से शुरू हुए बजट सत्र के साथ डिजीटल हो गई। हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश देश का ऐसा तीसरा राज्य बन गया जहां की विधानसभा अॉनलाइन है। राज्य विधानसभा की सारी कार्रवाई अब आनलाईन होगी।
सदन का एजेंडा और विधायकों द्वारा पूछे जाने वाले सवाल अॉनलाइन उपलब्ध होंगे। वर्ष 1952 से अब तक की यह 16वीं विधानसभा है और इस विधानसभा का यह आखिरी बजट सत्र है। डिजिटलीकरण के अलावा वर्ष 1952 से अब तक सदन की कार्यवाई का पूरा ब्योरा जल्द ही वेबसाइट पर उपलब्ध होगा।
विधानमंडल के लिए नए मानको को सदन के शीतकालीन सत्र से लागू होना था मगर सरकार ने इस सत्र में पुरानी प्रक्रिया से सदन की कार्रवाई को जारी रखने का फैसला किया।
प्रमुख सचिव (विधानसभा) प्रदीप कुमार दुबे ने कहा कि विधानसभा सचिवालय में दोनो सदनों के सदस्यों का डिजीटल हस्ताक्षर लेगा। हर सदस्य के हस्ताक्षर का विशिष्ट पासवर्ड जारी किया जाएगा जिसके जरिए विधायक सदन में पूछे जाने वाले सवालों को अपलोड कर सकेंगे और उनके उत्तर देख सकेंगे।
दो दशक पुरानी ध्वनि प्रणाली के अलावा सदन में हर विधायक की मेज पर इलेक्ट्रानिक वोटिंग की नई प्रणाली स्थापित की जाएगी। महत्वपूर्ण विधेयकों और प्रस्तावों में वोट के जरिए सदस्यों की सहमति लेने के लिए नयी प्रणाली का उपयोग किया जायेगा।
दुबे ने आगे कहा कि वर्तमान ध्वनि प्रणाली को 1995 में स्थापित किया गया था। दिसबर 1993 में श्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की गठबंधन सरकार के कार्यकाल में सदन में हुई हिंसा के बाद बडे माइक के स्थान पर ध्वनि प्रणाली की स्थापना की गई थी।
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