script‘बेगम जान’ रिव्यू- मर्दों की दुनिया में औरतों को अपने दम पर जीना और मरना दोनों सिखाती है विद्या की यह फिल्म | Vidya balan and her women war against patriarchy starrer Film Begum Jaan Review | Patrika News
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‘बेगम जान’ रिव्यू- मर्दों की दुनिया में औरतों को अपने दम पर जीना और मरना दोनों सिखाती है विद्या की यह फिल्म

श्रीजीत मुखर्जी की नेशनल अवॉर्ड जीत चुकी बंगाली फिल्म ‘राजकाहिनी’ का हिंदी रीमेक ‘बेगम जान’ ने आज सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है। फिल्म की कहानी भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय की है। विद्या बालन की यह फिल्म सबके लिए नहीं बनी है, लेकिन देखनी यह सबको चाहिए।

Apr 14, 2017 / 01:54 pm

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सच्ची कहानी पर आधारित फिल्म ‘बेगम जान’ श्रीजीत मुखर्जी की नेशनल अवॉर्ड जीत चुकी बंगाली फिल्म ‘राजकाहिनी’ का हिंदी रीमेक है। ‘बेगम जान’ ने आज सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है। इसकी कहानी 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद के बंगाल के एक कोठे पर रहने वाली 11 महिलाएं की है। इस फिल्म में विद्या बालन ने अहम भूमिका निभाई है। जानें कैसा है फिल्म का रिव्यू…
कहानी- 

फिल्म की कहानी भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय की है। जब भारत को पाकिस्तान से अलग कर के एक रेडक्लिफ लाइन खींची गई थी। इस लाइन के बीच में बेगम जान का वेश्यालय आ रहा था, जिसे हटाए जाने से रोकने के लिए बेगम जान और उनके साथ रहने वाली 12 लड़कियां एक साथ खड़ी हो जाती है। कहानी में ट्विस्ट तभी आता है,जब वेश्यालय को खाली करने के लिए विद्या बालन पर दबाव बनाया जात है। बेगम जान और 12 लोगों के संघर्ष की यह कहानी आज के समाज के मुंह पर जोरदार थप्पड़ मारती है। इसी के साथ आज के अहम मुद्दों पर गंभीरता से सोचने के लिए मजबूर कर देती है। 
फिल्म का डायरेक्शन अच्छा है और कास्टिंग भी कमाल की है। बेगम जान की मुख्य किरदार विद्या बालन ने शानदार एक्टिंग की है। सिनेमैटोग्राफी, ड्रोन कैमरे से लिए हुए शॉट्स, डायलॉग्स भी कमाल के हैं। गोलीबारी के साथ-साथ आग के सीन भी बहुत कमाल के हैं। लेकिन कहानी के लिहाज से स्क्रीनप्ले और बेहतर हो सकता था। साथ ही एडिटिंग काफी बिखरी-बिखरी जान पड़ती है, जिसे और अच्छा किया जा सकता था। इसी के साथ फिल्म के कई किरदार और अच्छी तरीके से परफॉर्मेंस दे सकते थे। 
विद्या बालन को एक जानदार परफॉर्मेंस की दरकार थी, और उन्हें बेगम जान के साथ वह मौका मिल गया है। बेगम जान में उन्होंने दिखाने की कोशिश की है कि अगर रोल सॉलिड ढंग से लिखा गया हो तो वे उसे बेहतरीन ढंग से अंजाम दे सकती हैं। ‘बेगम जान’ का किरदार विद्या बालन ने बेहतरीन तरीके से निभाया है। उनका रूप-रंग और आवाज आपके कानों पर देर तक गूंजती रहती है। विद्या ने पूरी तरह से किरदार को अपना लिया है। हम कह सकते है कि बेगम जान के रोल में विद्या बालन बिलकुल फिट बैठी हैं। अमिताभ बच्चन की आवाज सूत्रधार के रूप में आपको सुनाई देगी।
फिल्म का संगीत प्रेम में तोहरे, बाबुल मोरा नैहर.. नाम का लोकगीत जबरदस्त हैं, कहानी के साथ फिट बैठते हैं और बांधे रखते हैं। लेकिन फिल्म में ऐसे कई गाने हैं जो रफ्तार को कमजोर बनाते हैं। विवेक मुश्रान, चंकी पांडे, राजेश शर्मा, रजित कपूर, आशीष विद्यार्थी, पल्लवी शारदा, इला अरुण जैसे कलाकारों का काम काफी सहज है। फिल्म के बारी स्टार्स ने भी अच्छा काम किया है। नसीरुद्दीन शाह का छोटा, लेकिन अच्छा रोल है।
ऑवरओल रिव्यू- फिल्म में वह सभी बातें है जो किसी बेहतरीन सिनेमा के लिए जरुरी होती है। फिर चाहे वह बेहतरीन अदाकारी हो, कैमरे का कमाल हो, सॉलिड कैरक्टराइजेशन हो, डायलॉग्स हो या कहानी। फिल्म बेगम जान हर कसौटी पर खरी उतरती है। फिल्म पूरी तरह से इस बात मोर्चे पर फोकस करती है कि मर्दों की दुनिया में औरतों को अपने दम पर जीना और मरना दोनों ही आता है।
विद्या बालन की यह फिल्म सबके लिए नहीं बनी है, लेकिन देखनी यह सबको चाहिए। 

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