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एटा

भाजपा के हरनाथ सिंह ने जीता राज्यसभा का चुनाव, एटा में खुशी

जैसे ही खबर लगी कि भाजपा प्रत्याशी हरनाथ सिंह ने राज्यसभा चुनाव जीत लिया है, लोगों ने मिठाई खिलाकर खुशी मनाई।

एटाMar 24, 2018 / 08:24 am

Bhanu Pratap

harnath singh yadav family

harnath singh yadav family

एटा। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों पर मतगणना के बाद नौ सीटें भारतीय जनता पारटी (भाजपा) ने जीतीं। एक सीट पर समाजवादी पार्टी को मिली। जीत के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में भारी हर्षोल्लास देखा गया। एटा के हरनाथ सिंह यादव के राज्यसभा सदस्य चुने जाने पर भाजपाइयों में जश्न का माहौल देखा गया। उनके शांतिनगर आवास पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। भाजपा कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई और पटाखे चलाकर उनकी जीत पर जश्न मनाया। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने मोदी और योगी जिंदाबाद के नारे लगाए।
मूल रूप से मैनपुरी के निवासी
हरनाथ सिंह यादव का 1968 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संपर्क में आए। आरएसएस में प्रचारक के रूप में लंबे समय तक कार्य किया। आगरा , मथुरा एटा विधान स्नातक परिषद क्षेत्र से दो बार विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं। जिले में राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाने वाले हरनाथ सिंह यादव मूल रूप से मैनपुरी के गांव गोपालपुर के निवासी हैं। चार दशक पहले वह एटा के गांव लालगढ़ी में अपनी बुआ के घर आ गए और यहीं बस गए।
आरएसएस के प्रचारक रहे

हरनाथ सिंह वर्ष 1969 में उन्होंने कासगंज तहसील और 1971 से 1977 तक लखीमपुर खीरी में आरएसएस के जिला प्रचारक की भूमिका निभाई। इसके बाद जनता पार्टी में उन्हें वर्ष 1977 से 1980 तक किसान मजदूर मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 1981 में हरनाथ सिंह यादव को भाजपा के अलीगढ़ आगरा विभाग का संगठन मंत्री, 1987 में भाजपा युवा मोर्चा का प्रदेश महामंत्री बनाया गया। 1992 में वह फिर से किसान मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। इसके बाद 1994 से 1996 तक हरनाथ सिंह को भाजपा ने प्रदेश महामंत्री का दायित्व सौंपा। वही 1996 में इन्होंने स्नातक विधान परिषद की आगरा,मथुरा,एटा सीट से टिकट मांगा तो भाजपा ने इन पर विश्वास नहीं किया। भाजपा ने आगरा के बच्चू सिंह को टिकट दे दी। 1996 में हरनाथ सिंह ने भाजपा का दामन छोड़कर निर्दलीय आगरा खंड से स्नातक विधान परिषद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2002 में वह सपा से एमएलसी चुनाव जीते। 2008 में सपा से टिकट कटने पर उन्होंने एक बार फिर निर्दलीय ताल ठोकी। हालांकि इस बार उन्हें हार का सामना देखना पड़ा। मोदी सरकार बनने के बाद वह भाजपा में आ गए और किसान मोर्चा का जिम्मा संभाला।

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