मामला गोसाईगंज थाना क्षेत्र के इटकौली गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले राजेन्द्र कुमार शर्मा ने पांच अगस्त 1995 की रात हुई घटना का जिक्र करते हुए मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक उसका चचेरा भाई अर्जुन शर्मा अपने परिवार वालों के साथ सो रहा था, इसी दौरान कुछ लोग उसके दरवाजे पर आकर टार्च जलाये, जिस पर अर्जुन ने मना किया तो उन लोगों ने अर्जुन को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। इस मामले में अज्ञात लोगों के विरुद्ध वादी ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराया। तफ्तीश के दौरान पुरानी रंजिश को लेकर हत्या की वजह सामने आयी। मामले में प्रकाश में आये गांव के ही आरोपी सगीर अहमद, शिक्षण संस्थान के क्लर्क मुस्तफ़ा कमाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई। विचारण के दौरान मृतक के पिता सीताराम व भाभी आशा देवी के बयान के आधार पर जियाउल कमर को भी विचारण के लिए तलब किया गया। तीनों आरोपियो के खिलाफ एडीजे चतुर्थ की अदालत में विचारण चला।
9 गवाहों ने दी थी चश्मदीद गवाही इस दौरान शासकीय अधिवक्ता रमेश चन्द्र सिंह ने अभियोजन पक्ष के नौ गवाहों को परिक्षित कराया। साक्ष्य के दौरान वादी मुकदमा राजेंद्र कुमार शर्मा पक्षद्रोही घोषित हो गया। उसके विषय मे यह भी पता चला कि अर्जुन शर्मा के परिवार से वह अंदरूनी रंजिश रखता था, इसलिए सब कुछ जानते हुए भी आरोपियो को जानबूझकर नामजद ही नहीं किया। फिलहाल शेष गवाहों ने घटना का समर्थन किया। वहीं बचाव पक्ष ने अपने साक्ष्यों एवं तर्कों को प्रस्तुत कर उन्हें बेकसूर बताया। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार शुक्ला की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी जियाउल कमर को बरी कर दिया। वहीं शहर के एक बहु प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान के क्लर्क मुस्तफ़ा कमाल व सगीर अहमद को हत्या सहित अन्य धाराओं में दोषी करार दिया। जिन्हें अदालत ने उम्र कैद एवं पांच-पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।