अखिलेश सरकार में राज्य पोषण मिशन के माध्यम से जोरदार ढंग से यह अभियान चलाया गया था लेकिन सफल नहीं हो पाया था। प्रदेश की योगी सरकार में कुपोषण के साथ स्वच्छता पर विशेष जोर देकर कुपोषण पर तेजी से प्रहार किया गया तो बीते दो साल में काफी हद तक कुपोषण दूर हो गया। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण बीते माह जुलाई में बच्चों का वजन कराने पर प्रकट हुआ अब 399 अति कुपोषित जबकि 4564 कुपोषित बच्चे पाए गए।
व्यापक पैमाने पर अभियान शुरू
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब अक्टूबर 2014 में स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ किया तो प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पत्नी डिंपल यादव के साथ राज्य पोषण मिशन का एलान करके समूचे प्रदेश में बच्चों में व्याप्त कुपोषण दूर कराने के लिए व्यापक पैमाने पर अभियान शुरू कराया था। उस समय आला अधिकारियों ने 4 हजार अतिकुपोषित तथा 20 हजार कुपोषित बच्चे होने का दावा किया लेकिन यह दावा तत्कालीन जिलाधिकारी डा. नितिन बंसल को सही नहीं लगा। उन्होंने सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर दिसबंर 2016 में टीमें लगाकर 5 साल तक के 1 लाख 46 हजार 236 बच्चों का वजन करवाया तो हकीकत प्रकट हो गई थी। इसमें 13 हजार 470 अतिकुपोषित, 25 हजार 664 कुपोषित तथा 1 लाख 7 हजार बच्चे सामान्य पाए गए थे। इसके बाद कुपोषण दूर करने की कवायद शुरू की गई लेकिन कुछ ही दिन बाद विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाने से अभियान को ब्रेक लग गया था।
कुपोषण पर तेजी से प्रहार
जुलाई 2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने नये सिरे से इस मिशन की कमान संभालकर महिलाओं को जागरूक कराने का अभियान चलाया । मुख्यालय से अधिकारियों की टीमें गांव-गांव दौड़ाकर ग्राम प्रधानों को सक्रिय किया गया। पोषण वाटिका लगवाई, आंगनबाड़ी केंद्रों को सक्रिय किया गया तो कुपोषण पर तेजी से प्रहार होने लगा। इसका प्रमाण बीते माह जुलाई में 1 लाख 52 हजार 453 बच्चों का वजन कराए जाने पर स्पष्ट हुआ, इसमें 399 अतिकुपोषित, 4564 कुपोषित तथा 1 लाख 47 हजार 490 बच्चे सामान्य पाए गए। इटावा जिले में 5 वर्ष तक के कुल बच्चों की संख्या एक लाख 52 हजार 453 है। इसके बाद भी बच्चों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहीं जिले के अधिकारी कुपोषण दूर करने के भले ही बडे़-बडे़ दावे कर रहे हों लेकिन स्थिति कुछ अलग ही है।
पुष्टाहार केन्द्रों पर वितरित
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सात माह से तीन वर्ष तक के बच्चों को प्रतिमाह तीन किलो तथा 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को 50 ग्राम मार्निंग स्नेक तथा गर्भवती व धात्री महिलाओं को तीन किलो प्रतिमाह पुष्टाहार केन्द्रों पर वितरित किया जाता है। लाल श्रेणी वाले अतिकुपोषित बच्चों को सामान्य बच्चों की अपेक्षा डबल पुष्टाहार दिया जाता है। केन्द्रों पर जो बच्चे पंजीकृत हैं उन्हें तीन महीने से पुष्टाहार की समस्या से जूझना पड़ रहा है। अगर यही समस्या रही तो कुपोषण से इटावा जिले को मुक्ति मिलना संभव नहीं है। इटावा जिले में 1564 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं। इसमें अधिकतर केन्द्र प्राइमरी स्कूलों में चलाए जा रहे हैं। सिर्फ 148 केन्द्र नए बन रहे हैं। जिसमें 54 केन्द्रों का निर्माण हो चुका है और 94 केन्द्र निर्माणाधीन हैं। 22 अप्रैल को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इटावा दौरे के दौरान विकास भवन मे अन्य परियोजना के साथ साथ 145.08 लाख की लागत से निर्मित 18 आंगनवाड़ी केन्द्रेा का लोकार्पण कर गए है।