सर्वप्रथम तीन बड़े यज्ञ कुण्ड बनाकर यज्ञाचार्यों ने वेदमंत्रों को उच्चारते हुए महान समाजसेवी बाबू दर्शन सिंह यादव की आत्मशान्ति के लिए बाबू जी के परिजनों और हजारों की संख्या में आये प्रियजनों के द्वारा हवन-यज्ञ में आहूतियां डलवाईं। इनमें बाबू जी के तीनों पुत्रों नगेन्द्र प्रताप, अनुज कुमार व नीरज कुमार यादव के अलावा तीन भाइयों शिवराम सिंह यादव, सोबरन सिंह यादव (विधायक) व कुमदेश चन्द्र यादव तथा जितेन्द्र प्रताप, सौरभ, मुकुल, दिव्यांश, अर्पित (भतीजों) ने मुख्य आहूतियां दी।
इसके साथ ही विशिष्टजनों में सपा के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद प्रो0 रामगोपाल यादव, पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव की धर्मपत्नी सरला यादव, पुत्र अंकुर यादव, पूर्व सांसद रघुराज शाक्य, पूर्व विधायक शिवप्रसाद यादव, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूरज सिंह यादव, जिलाध्यक्ष उदयभान सिंह यादव, यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष अरूण यादव यादव, समाजसेवी विश्राम सिंह यादव, महासभा के अध्यक्ष डा0 शिवराज सिंह यादव, राजपाल सिंह यादव, रचना सिंह सेंगर, डा0 रामयश सिंह, डा0 अजब सिंह यादव, हरीशंकर प्रधानाचार्य, डा0 देवेन्द्र सिंह , कैलाश कवि, विनोद यादव , सुनील मिश्रा बजाज, अतिवीर, बलवीर सिंह पुजारी, फेरी सिंह यादव, अभिलाष शास्त्री के अलावा , संत रामदेव, संत सुहेलदेव आदि ने बाबू जी को समाजसेवी संत बताते हुए कहा कि बाबू दर्शन सिंह यादव संस्कारों की चलती फिरती पाठशाला थे। समाज की भलाई में उनका चिंतन अतुलनीय था। उन्होंने पूरी सात्विकता और पवित्रता के साथ अपना जीवन जिया। उन्होंने रामचरित मानस को अपने जीवन की आचार संहिता मानते हुए ‘जाहि विधि रहे राम ताही विधि रहिए’ की प्रेरणा को अपने आचरण में उतारा तथा दूसरों को भी वैसा ही बनने की प्रेरणा दी। उन्हें सच्ची श्रृद्धाजंलि तो यही होगी कि उनके बताये गए रास्ते पर चलते हुए समाज का मार्ग दर्शन किया जाये।