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इटावा

सैफई में लाखों रुपया का बना सीओ आवास साफ-सफाई के अभाव में होता जा रहा है खंडहर तब्दील

उत्तर प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार आई तब से सपा के गढ़ कहा जाने सैफई की दुर्दशा दिनो- खराब होती जा रही है

इटावाFeb 15, 2018 / 05:32 pm

Mahendra Pratap

co office
सैफई/इटावा. उत्तर प्रदेश में जब से भाजपा की सरकार आई तब से सपा के गढ़ कहा जाने सैफई की दुर्दशा दिनो- खराब होती जा रही है । उत्तर प्रदेश के जिले के सैफई में अब अधिकारियों ठीक नहीं है या सत्तापक्ष को दबाव में अधिकारी इधर ध्यान नहीं देते है ।
यह है मामला

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में सीओ ऑफिस है और सीओ आवास भी बना है। लेकिन यहां के क्षेत्राधिकारी निर्मल सिंह विष्ट एक दिन भी नहीं रुकते है। इसलिए शासन के निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ा रहे है। इनके सैफई ऑफिस में बैठने का कोई समय नहीं है, पीड़ित इंतजार करते-करते थक हारकर लौट जाते हैं।
सैफई में क्षेत्राधिकारी के रुकने के लिए तहसील परिसर में आवास है। इसमें पूर्व सीओ अरुण दीक्षित लगातार रुकते थे, और रात में हमराह के साथ गस्त भी करते थे। उनके बाद आए सीओ एसएस ग्रोवर भी सैफई आवास में रुकते थे। उनके कौशाम्बी जनपद में तबादले के बाद अंजनी कुमार चतुर्वेदी को सैफई का नया क्षेत्राधिकारी बनाया गया। वह भी सैफई रुकते थे और लगातार पीड़ितों की समस्या सुनते थे। उनके बाद मोहन सिंह भी लगातार सैफई में रुककर पीड़ितों से मिलते थे। लेकिन उनका तबादला भी सैफई से कर दिया गया। इसके बाद नए सीओ निर्मल सिंह विष्ट ने चार्ज लिया और सैफई रुकने की बजाय इटावा रुकने लगे।
सैफई में बेहतर इंतजाम होते हुए भी सीओ का इटावा रुकना आम जनमानस की समझ मे नहीं आ रहा है। सीओ के इटावा रुकने से शासन को भी प्रतिमाह लगभग आठ हजार का चूना लगाया जा रहा है। अब क्योंकि सैफई से इटावा की दूरी एक तरफ से 22 किलोमीटर है इसलिए आने जाने में लगभग 4 लीटर डीजल का रोज खर्च हो रहा है। सैफई तहसील में बना हुआ लाखों रुपये का भवन खंडहर में तब्दील होता दिख रहा है। पिछले माह अखिलेश यादव के सैफई आगमन पर भी सीओ इटावा में रुके थे और पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा भगवान भरोसे रही।
सैफई के मुलायम सिंह यादव केंद्र में रक्षा मंत्री रहे और कई बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके है। उन्हें केंद्र सरकार द्वारा सुरक्षा प्राप्त है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव, राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव को भी खतरा है। इसके चलते उन्हें भी केंद्र सरकार द्वारा सीआईएसएफ की सुरक्षा दी गयी है। इसी सैफई के धर्मेंद्र यादव सांसद बदायूं, तेजप्रताप यादव सांसद मैनपुरी, अक्षय यादव फिरोजाबाद सांसद, डिंपल यादव सांसद कन्नौज और खुद मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ से सांसद हैं। अखिलेश यादव वर्ष 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। सैफई के अभिषेक यादव इटावा से जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।
एक गांव से छह सांसद, एक विद्यायक, 2 पूर्व मुख्यमंत्री/रक्षामंत्री होते हुए भी सीओ सैफई निर्मल सिंह विष्ट इस क्षेत्र को वीआईपी नहीं मानते। यही कारण है कि वह एक-दो घण्टे कभी कभी ऑफिस में बैठकर इटावा भाग जाते हैं। अगर सैफई सर्किल क्षेत्र में गश्त की बात की जाए, तो बेदपुरा, चौबिया, बसरेहर, सैफई के किसी भी कस्बा या गांव में सीओ की गाड़ी गस्त करने नहीं गयी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रदेश के पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि जनता में अपराधियों का भय दूर करने के लिए पैदल गश्त जरूर करें। इस आदेश का पूरे प्रदेश में पालन किया जा रहा है। लेकिन सीओ सैफई न ही पैदल गश्त करते है और न ही गाड़ी से।
सैफई में सीओ से मिलने आये फरियादी भी घण्टो इंतजार करने के बाद थकहार कर बापस लौट जाते हैं और उनकी मुलाकात सीओ से नही हो पाती है। ऐसा कहा जाता है कि वह बाहर हैं। इस तरह की बातें पीड़ित अपनी फरियाद लेकर कहाँ जाए। इस मामले में जब क्षेत्राधिकारी से फोन किया, तो रिसीव नहीं हुआ। ऑफिस से जानकारी मिली कि साहब कानपुर में महामहिम राष्ट्रपति महोदय के प्रोग्राम में गए थे रात को लौटे हैं।

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