सफारी पार्क का शुभारंभ 24 नवंबर 2019 को वन मंत्री दारा सिंह चैहान ने किया था। 25 नवंबर से आम पर्यटकों के लिए सफारी पार्क खोला गया था। 25 नवंबर को पहले दिन 414 पर्यटक आए थे जिससे सफारी को 73 हजार 200 रुपए की आय हुई थी। 15 जनवरी तक 50 दिनों में सफारी में अब तक कुल 34 हजार 208 पर्यटक आ चुके हैं जिससे सफारी को 55 लाख 26 हजार 320 रुपए की आय अब तक हो चुकी है। औसत देखें तो प्रतिदिन सफारी में घूमने वाले पर्यटकों की संख्या 685 हो रही है। सफारी में सबसे ज्यादा नववर्ष की खुशियां पर्यटकों ने मनाई थीं। 1 जनवरी 2020 को सफारी में 1573 पर्यटक पहुंचे थे जिससे सफारी को 2 लाख 98 हजार 284 रुपए की आय हुई थी।
पार्क में पर्यटक अभी डियर, एंटीलोप और भालू सफारी ही देख पा रहे हैं। लाॅयन सफारी मार्च तक शुरू होने की उम्मीद है। लाॅयन सफारी के लिए केंद्रीय चिडियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) की अनुमति का इंतजार है। इस साल के अंत तक टाइगर सफारी खोलने का भी प्रस्ताव है। इसके लिए तैयारियां की जा रहीं हैं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि करीब डेढ दशक तक इटावा से रोजगार की तलाश मे लोग दूर दराज भटका करते थे लेकिन आज बदली हुई परिस्थितियों में अब यहां के हालात बदल चुके हैं। कल तक चंबल की छवि के कारण लोगों का पलायन एक बड़ी समस्या थी। इटावा सफारी पार्क को 34 हजार से अधिक लोगों ने निहार कर बडा संदेश दिया है। निश्चित है कि जब इतनी बड़ी तादाद में पर्यटक इटावा सफारी पार्क को देखने के लिए पहुंचेंगे तो जाहिर है कि इटावा के लोगों को कहीं न कहीं बड़ा फायदा विभिन्न तरीकों से पहुंचेगा और इटावा की छवि भी निखरेगी।
अगर बात करें तो इटावा सफारी पार्क मे विदेशी पर्यटकों की भी आहट दिखाई दी है। सफारी शुरूआत के दूसरे ही दिन जर्मन दंपति डेनिस और कालरा इटावा सफारी पार्क देखने के लिए आ पहुंचे जो इटावा के पहले विदेशी पर्यटक बने। भारत भ्रमण पर आये जर्मन जोड़े को जब इस बात की जानकारी मिली कि इटावा सफारी पार्क पर्यटकों के लिए खुल गया है तो वो आगरा से सफारी को देखने के लिए यहां पहुंचे। जर्मन जोड़े ने इटावा सफारी पार्क कि भव्यता कि जमकर तारीफ की। पिछले साल 3 दिसंबर को तीन जापानी पर्यटकों ने अपने भारतीय परिचितों के साथ इटावा सफारी पार्क का दीदार कर जमकर तारीफ की। लखनऊ से जापानी पर्यटक अकागी शान,अमानु शान और डा.सुशील यामो मौटो, अपने करीब कई भारतीय करीबियों के साथ इटावा सफारी पार्क देखने के लिए आए।
कुख्यात डाकुओ के आंतक से अब तक जूझती रही चंबल की तस्वीर करीब डेढ दशक पहले बदलना शुरू हो गयी थी जब साल 2003 के मुख्यमंत्री काल मे मुलायम सिंह यादव ने डाकुओ के खिलाफ अभियान चला कर एक के बाद एक नामी डाकुओ को ना केवल घरासाई करवा दिया जो बच गये उन्हे समर्पण के बाद जेल मे रखा गया वो अब कानूनी पहलुओ के बीच जिंदगी की जंग लड़ रहे है। अब इटावा सफारी पार्क के माध्यम से ऐक ऐसा तोहफा मिल गया है जो इटावा को पर्यटक मानचित्र पर खड़ा करता हुआ नजर आ रहा है।