पकड़े गये जीव का वनज करीब पंद्रह किलो के आसपास रहा होगा। बेहद ही आक्रामक यह प्राणी पूरी तरह से मांसाहारी माना जाता है । उन्होंने बताया कि हनी बैजर नामक जीव के पहली दफा जंगल से बाहर आने को लेकर वन अमले में भी हैरत देखी जा रही है क्योंकि इससे पहले कभी भी इस जीव को जंगल से बाहर आते हुए नही देखा गया है । आज तक इस जीव को इटावा के किसी भी वन अफसर और इलाकाई वासिंदे ने प्रमाणीक तौर पर नही देखा है ।
वन क्षेत्राधिकारी बसरेहर मिथिलेश कुमार तिवारी पर्यावरण एवं वन्यजीव पर कार्य कर रही संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर स्कॉन सचिव व वन्यजीव विशेषज्ञ संजीव चौहान स्कॉन टीम के साथ मौके पर पहुंचे । लगभग दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसको सुरक्षित कुए से निकाला गया।
स्कॉन सचिव संजीव चौहान ने बताया कि हनी बैजर एक स्तनधारी एवं मांसाहारी प्राणी है । इसका स्वभाव आक्रामक एवं मोटी चमड़ी होने के कारण अन्य जानवर इसके निकट नही आते है। इसके शरीर का ऊपरी भाग भूरा, बगल और पेट काला तथा माथे पर चौड़ी सफेद धारी होती है। हर पैर पर पॉच मजबूत नख होते हैं । जो मॉद खोदने के काम आते हैं। यह अगले पैर से मॉद खोदता जाता है और पिछले पैरों से मिट्टी दूर फेंकता जाता है। यह अपने पुष्ट नखों से कब्र खोदकर मुर्दा खा लेता है। पूर्व में यह जानवर कभी देखा नहीं गया । यह पहली बार देखा गया । उन्होने बताया कि इस परिवार के कई सदस्यो के पास मे होने का कई ग्रामीणो की ओर से दावा भी किया गया है । हनी बैजर बचाओ अभियान मे विवेकानंद दुबे, अजीतपाल सिंह, ज्ञानेश कुमार, योगेंद्र कुमार, शैलेंद्र यादव व भूपेंद्र भदौरिया आदि लोग मौजूद रहे ।