script67 फीसदी आबादी को नहीं शुद्ध पानी | 67 percent of the population forced to drink fluoridated water | Patrika News

67 फीसदी आबादी को नहीं शुद्ध पानी

locationइटावाPublished: Feb 09, 2016 12:43:00 pm

Submitted by:

santosh

जिले के अधिकांश गांवों में लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा
है। करीब 67 फीसदी आबादी फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर है।

जिले के अधिकांश गांवों में लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। करीब 67 फीसदी आबादी फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर है। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार जिले के 851 में से 157 गांवों में फ्लोराइड, 43 में सैलिनिटी व 90 गांवों में नाइट्रेट युक्त भू-जल है। हालांकि सरकार द्वारा पानी में से फ्लोराइड, टीडीएस, क्लोराइड, नाइट्रेट व सैलिनिटी की मात्रा दूर करने के लिए जिले में 39 आरओ प्लांट व 100 से अधिक डी-फ्लोराइडेशन यूनिट स्थापित किए, लेकिन पानी में इन पदार्थों की मात्रा निर्धारित से कई गुणा अधिक होने से वे खरे नहीं उतर सके। ऐसे में लोगों को नुकसानदेह पानी ही पीना पड़ रहा है।

यह है ब्लॉकवार स्थिति
जलदाय विभाग ने जिले में 6 खण्ड बनाए हुए हैं। इनमें रहने वाले 12 लाख 1551 लोगों मेंं से 8.30 लाख लोग फ्लोराइड, नाइट्रेट व सैलिनिटी युक्त पानी पी रहे हैं। सर्वाधिक फ्लोराइड युक्त पानी वाले 79 गांव हिण्डौनसिटी ब्लॉक के हैं। साथ ही 13 गांवों मे सैलिनिटी (टीडीएस, क्लोराइड) युक्त पानी की समस्या है। इसी प्रकार नादौती ब्लॉक के 30 गांवो में फ्लोराइड व 16 गांवों में सैलिनिटी, सपोटरा के एक गांव में फ्लोराइड व टोडाभीम के 47 गांवो में फ्लोराइड व तीन गांवों में सैलिनिटी युक्त भू-जल है। जबकि करौली व मंडरायल ब्लॉक के गांव फ्लोराइड मुक्त हैं, हालांकि करौली ब्लॉक में 9 व मंडरायल ब्लॉक में 2 गांवों का भू-जल सैलिनिटी से प्रभावित है।

यहां सबसे अधिक फ्लोराइड व सैलिनिटी
जलदाय विभाग के सूत्रों के अनुसार नादौती के बाड़ापिचानौत, सोप, बड़ागांव व गुड़ली, हिण्डौन के खेड़ा, फैलीकापुरा, दानालपुर व खेड़लीगुर्जर तथा टोडाभीम के जगदीशपुर, कटाराअजीज व पहाड़ी गांव में फ्लोराइड व सैलिनिटी की मात्रा निर्धारित से कई गुणा अधिक है। ऐसे में यहां जलदाय विभाग द्वारा स्थापित किए गए आरओ व डि-फ्लोराइडेशन यूनिट भी फेल हो गए।

यह है निर्धारित मानक
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार एक लीटर पानी में 1.5 मिलीग्राम फ्लोराइड की मात्रा होने तक उसे पीने योग्य माना जाता है। वहीं टीडीएस की मात्रा प्रति लीटर पानी में 500 से 1500 पीपीएम तक होनी चाहिए। इसी प्रकार क्लोराइड की मात्रा 130 व नाइट्रेट की 145 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए, लेकिन हिण्डौनसिटी, नादौती, टोडाभीम ब्लॉक के गांवो में फ्लोराइड की मात्रा 4.12 से 5.79 मिलीग्राम तथा टीडीएस की मात्रा 6520 से 8500 पीपीएम है।

गिर रहे दांत, टूट रही हड्डियां
फ्लोराइड व सैलिनिटी युक्त पानी के नियमित सेवन से दांतों व हड्डियों से संबंधित रोग हो जाते हैं। दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. आनंद अग्रवाल ने बताया कि लोराइड की अधिक मात्रायुक्त पानी से दांतों में फ्लोरोसिस रोग होता है। इससे बाल्यावस्था में दांत कमजोर होने के साथ ही विकृत हो जाते है। वहीं बाद में दांतों में पीलापन व समय से पूर्व गिरने की बीमारियां होती है। इसी प्रकार हड्डियों का वक्री हो टूटना, जोड़ों में दर्द व सूजन आ जाती है।

प्रयास कर रहे हैं
फ्लोराइड युक्त पानी से निजात दिलाने के लिए जिले में डि-फ्लोराइडेशन यूनिट के अलावा आरओ प्लांट स्थापित किए गए। समस्या ग्रस्त क्षेत्रों के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
-सीताराम मीणा, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग, करौली।
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