भागने में असमर्थ रहे कारोबारी
ताड़ी के कारोबारियों ने जैसे ही अपनी तरफ जिला प्रशासन की टीम को अपनी तरफ आते देखा तो सभी मौके से भाग निकले लेकिन दो लोग पेड़ पर खड़े होने के कारन भागने में असमर्थ रहे। जिन्हें पकड़ कर थाने लाया गया वहीं बाहर से ताड़ी पीने आये कार सवार गाड़ी छोड़ कर भागने लगे। उन्हें भी पकड़ कर थाने लाया गया। मौके पर कई खाली मटकिया बरामद की गई और पेड़ से उतारते समय शोभाराम व से दो मटकिया ताड़ी से भरी बरामद की गई। सरैया ताड़ में करीब 850 ताड़ के पेड़ है जिनमें से हर साल सत्ता से जुडे हुए लोगों के संरक्षण में हर साल करीब 400 से अधिक पेड़ो से ताड़ी उतारी जाती वैसे तो ताड़ी पीने वालो का मानना है कि इसके सेवन से पेट के रोग दूर हो जाते है वहीं ताड़ी माफिया इसकी मात्रा को बढाने के लिए इसमें नशीले पदार्थ की गोलियों को डालते है और पानी मिलाते है जिससे मुनाफा ज्यादा हो सके।
ज्यादा सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
आज ताड़ी की कीमत 500 ग्राम की करीब 40 रुपये है और एक पेड़ से करीब 20 लीटर शुद्ध ताड़ी निकलती है जिसमे ये लोग नशे की गोलिया और पानी मिलाकर 30 से 35 लीटर तक कर लेते है और अगर 400 पेड़ो का ही मुनाफा देखा जाये तो रोज के करीब 10 लाख रुपये की बिक्री होती है और पांच पैड़ो पर दो कर्मी रहते है। जिनको 700 रुपये रोज पर व्यक्ति के हिसाब से दिया जाता है। 80 रूपये लेबर का खर्चा करीब 60 हजार रुपये आता है और पूरे सीजन के लिए 500 रुपये प्रति पेड़ के हिसाब से पेड़ मालिक को देना होता है जिसमें इनका करीब 2 लाख रूपए जाता है ताड़ी करीब दो महीने चलती है। पैडों का किराया अगर रोज का माना जाए तो 3500 के करीब रोज आता है इस हिसाब से ताड़ी माफियाओं का सारा खर्चा निकल कर करीब रोज के 9 लाख रुपये की बचत होती है। आयुर्वेद से जुड़े जानकारों के मुताबिक शुद्ध ताड़ी को हल्की मात्रा में सेवन करने से पेट के विकार दूर होते हैं। ज्यादा सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
कई बार संवेदनशील हालात हो गए
अपराधियों की धमाचौकड़ी होने से कई बार संवेदनशील हालात हो गए हैं, इसके बावजूद प्रशासन इस ओर कोई तवज्जो नहीं दे रहा है। खजूर के पेड़ों की भांति ताड़ के पेड़ होते हैं जो अप्रैल माह से लेकर मानसून की झमाझम बरसात आने तक भरपूर ताड़ी प्रदान करते हैं। ताड़ी सहजता से नहीं प्राप्त होती है, ताड़ का पेड़ करीब 60-70 फीट ऊंचा होता है। ऊंचाई पर पत्तों के मध्य करीब दो दर्जन फल लगते हैं, इन फलों में तेज धारदार ब्लेड से कट लगा फल के नीचे मिट्टी के मटके टाइप घल्ला में ताड़ी एकत्रित की जाती है । एक पेड़ सुबह-शाम करीब 150 लीटर प्रदान करता है।
खुलेआम बेची जा रही ताड़ी
ब्लाक बसरेहर क्षेत्र के गांव सरैया, मलपुरा , टिकुपुरा, जैतपुरा, रायपुरा सहित अन्य कई गांवों में तकरीबव 500 ताड़ के पेड़ों से ताड़ी उतारी जाती है, इसी तरह ब्लाक जसवंतनगर के गांव मलाजनी, महलई, जारीखेड़ा, नगला नरिया, कुंजपुरा सहित अन्य कई गांवों में 5-6 सौ पेडों से ताड़ी उतारकर खुलेआम बेची जा रही है।