पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन में संयुक्त रूप से मेडिकल छात्रों से कई स्तर की वार्ता की। संयुक्त टीम का उद्देश्य यह जानने का था कि यूनिवर्सिटी कैंपस के भीतर मेडिकल छात्रों के साथ किसी भी तरह की रैगिंग की घटना तो घटित नहीं हुई है लेकिन यूनिवर्सिटी और पुलिस प्रशासन की टीम तब संतुष्ट हुई जब किसी भी मेडिकल छात्र की ओर से रैगिंग की घटना से स्पष्ट तौर पर इंकार किया। वार्ता में यह स्पष्ट हुआ कि यूनिवर्सिटी के भीतर रैगिंग जैसा कोई मामला नहीं हुआ है और ना ही किसी भी छात्र छात्रा के सिर के बाल को किसी ने काटा है बल्कि खुद ही सभी मेडिकल छात्रों ने अपने अपने बालों को काटा है।
मंगलवार की देर शाम जैसे ही है मामला सुर्खियों में आया वैसे ही यूनिवर्सिटी प्रशासन के साथ-साथ पर सैफई के पुलिस उपाधीक्षक मस्सा सिंह और इस्पेक्टर सैफई चन्द्र देव सिंह में संयुक्त रूप से जाकर के पीड़ित कहे जाने वाले सभी छात्र-छात्राओं से इस सिलसिले में लंबी वार्ता की। सभी ने एक सुर से इस बात को स्वीकार किया कि उन्होंने अपने सिर के बाल खुद ही काटे हुये हैं। इसके पीछे कोई भी सीनियर जिम्मेदार नहीं है। सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो राजकुमार ओर सैफई के पुलिस उपाधीक्षक मस्सा सिंह, सैफई के प्रभारी निरीक्षक चन्द्रदेव सिंह आदि पुलिस अफसरों ने सयुक्त रूप से रैंगिग को लेकर दर्जनों सवाल छात्रों से पूछे। जिस पर सभी ने एक सुर से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनकी किसी भी सीनियर ने कोई रैगिंग नहीं की है। जब से उनका बैच आया है तब से उनको किसी भी तरह से परेशान भी नहीं किया गया है। उन्होंने रैगिंग को लेकर किसी भी स्तर से कोई शिकायत भी नही की है और ना ही वे कोई शिकायत करना भी चाहते है । सभी ने स्वेच्छा से अपने सर के बाल काटे हुए हैं उनके सिर के बाल किसी बी सीनियर ने नहीं काटे।