प्रशासन का रवैया है लापरवाह- इस संदर्भ में उन्होंने इसके पूर्व 8 जनवरी 2018 एवं 31 जनवरी, 2018 को जिलाधिकारी इटावा को पत्र भी लिखा था, लेकिन समस्या यथावत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में सिंचाई, लोक निर्माण विभाग व जल निगम का रवैया भी लापरवाह व संवेदनहीन हैं। बड़े-बड़े पाइपों का ढेर, खुले मेनहोल, ज्यों के त्यों पड़ी सीवर लाईनें, सैफई ग्राम के चारों तरफ देखी जा सकती हैं। सिंचाई विभाग का माइनर जो संस्थान व शिक्षा संस्थाओं के सामने से निकला है, वहां गंदगी की भरमार है। पानी जमा हुआ है जिसके सड़ने से मच्छरों का भी प्रकोप जारी है।
छात्रों पर पड़ रहा बुरा असर- इसका सबसे अधिक प्रभाव आयुर्विज्ञान संस्थान सैफई के मरीजों एवं शैक्षिक संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्रों पर पड़ रहा है। स्वास्थ्य खराब होने के साथ ही छात्रों के पठन-पाठन की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। बताते चले कि सैफई मेडिकल यूनिवसिर्टी को स्वच्छता मानकों में देश के बेहतर प्रबंध संस्थानों में से एक माना गया है, लेकिन योगी सरकार के आने के बाद सैफई की यह बदहाली किसी से भी छुपी नहीं है। कोई भी विभाग इसकी अनदेखी करने से पीछे नहीं हट रहा है।