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इटावा

शादियों में मिलने वाली बोतल से पौधा बनाकर लोगों को गिफ्ट करते हैं

प्लास्टिक की बोतल में मिट्टी भर कर उसे शादियों में गिफ्ट करते हैं ये पर्यावरण प्रेमी

इटावाJun 05, 2018 / 07:42 pm

Mahendra Pratap

world environment day

शादियों में मिलने वाली बोतल से पौधा बनाकर लोगों को गिप्च करते हैं

इटावा. प्लास्टिक को जहर माना जाता है, जो इस तरह से घालमेल कर चुका है कि उसका खात्मा बड़ी मुश्किल से बनाया गया है। फिर भी कहा जाता है कि कोशिशें कामयाब जरूर होती हैं। जी हां, बिल्कुल इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश के इटावा शहर के पुरबिया टोला में रहने वाले डॉ. कांत ने प्लास्टिक की बोतलों को उपयोग में लाने की बेहतर पहल करते हुए पर्यावरण संरक्षण का नायब नमूना पेश कर अपने आप को ” हरित मित्र “साबित कर दिया है।
डॉ. कांत का इटावा के पुरबिया टोला में साईं उत्सव गार्डन के नाम से मैरिज होम है, जिसमें वर्ष भर शादियां पार्टियों में आने वाली बोतलों को वे बीच से काटकर उसमें मिट्टी भर देते हैं और एक पौधा लगाने के बाद वे लोगों को उसे गिफ्ट दे देते हैं। उन्होंने अपने घर में भी बोतलों में ऐसे करीब 200 पौधे लगा रखे हैं, जिससे घर की खूबसूरती भी बढ़ गई है और पर्यावरण संरक्षण को बल मिला है।
सालों की मेहनत है डॉ. कांत की

डॉ. कांत बताते हैं कि वे यह कार्य पिछले 20 वर्षों से कर रहे हैं। उनकी पुरबिया टोला में बगिया है, जिसमें वह यह सारा कार्य करते हैं। गर्मी के दिनों में वे नाइन ओ क्लाक, मनी प्लांट, फोरटू लाइका, पौधों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि जाड़े के दिनों में वे फ्लास्क, बरगीना, केना लीटर जैसे पौधों का इस्तेमाल करते हैं। सर्दियों के दिनों में यह कार्य अच्छी तरह से होता है। उन्होंने बताया कि उनके मित्र इसे काफी पसंद करते हैं और काफी लोगों ने अपने घरों में प्लास्टिक की बोतलों में पौधे लगाकर एक वातावरण तैयार किया है।
प्लास्टिक बहुत खतरनाक है

इटावा मे उप पशु चिकित्सा अधिकारी डा.अनिल कंसल बताते है कि आज कल प्लास्टिक के पात्रों में सामान लाने का चलन तेजी से बढ़ गया है। दूध हो या चाय, सब्जी हो या अन्य खाद्य पदार्थ, लोग ला करके बाद में प्लास्टिक के पात्रों को सड़क पर या कचरे में फेंक देते हैं, जिन्हें आवारा पशु अपने पेट की आग शांत करने के लिए खा जाते हैं। इससे उनके पेट में अनेक तरह की बीमारियां हो जाती हैं। पशुओं की इनके सेवन से जान भी जा सकती है।
पर्यावरणविद डॉ.राजीव चौहान का कहना है कि प्लास्टिक किसी भी रूप में जमीन पर फेंकी जाएं पर्यावरण के लिए नुकसानदायक ही होती है। यह किसी भी तरह से जमीन में दबने के बाद भी नष्ट नहीं है और जमीन की उर्वरा शक्ति को खत्म करती है।
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