मोर ने कहा, वर्षों की रिसर्च के बाद, मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि बोस की मौत साइगॉन में हुई। फ्रेंच अधिकारियों के पत्र से मैं चकित रह गया कि उन्होंने इस अहम फाइल को देखने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इससे मेरी धारणा और भी मजबूत हुई है कि सितंबर 1945 में साइगॉन में ही बोस ने अंतिम सांस ली, यही वजह है कि इस फाइल को गुप्त रखा जा रहा है।
मोर पैरिस के एक कॉलेज में पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा है कि बोस के परिवार से जुड़े लोगों या भारत सरकार को फ्रांस सरकार से इस एक फाइल को खोलने की मांग करनी चाहिए।
नेताजी की मृत्यु के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए भारत सरकार ने तीन कमीशन (शाह नवाज कमेटी, खोसला कमीशन, मुखर्जी कमीशन) का गठन किया। इसके बाद सरकार इस निर्णय पर पहुंची कि नेताजी की मौत प्लेन कैश में ही हुई थी।
इस वर्ष जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली स्थित नेशनल आर्काइव्स में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलें पहली बार सार्वजिनक की। इसके बाद से कई फाइलें सार्वजनिक की जा चुकी हैं।