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यूरोपीय देशों में बढ़ता दक्षिणपंथ प्रभाव
पूरे विश्व में यदि देखें तो दक्षिणपंथ का प्रभाव धीरे-धीरे लगातार बढ़ता जा रहा है। दक्षिणपंथ विचारधार रखने वाले दलों के नेतृत्व में सरकारें भी बनी है और मौजूदा समय में सरकार चल रही है। भारत, फ्रांस, अमरीका, जापान, इजरायल, रूस, जर्मनी, स्वीट्जरलैंड, पोलेंड आदि कई देश हैं जहां दक्षिणपंथ विचारधारा वाले पार्टियों की सरकार है। इसी तरह से कई ऐसे यूरोपीय देश भी हैं जहां पर बीते एक दशक से दक्षिणपंथी पार्टियों का वर्चस्व बढ़ा है। यूरोप के 11 देशों के 14 ऐसी पार्टियां हैं, जो दक्षिणपंथी हैं और उनका प्रभाव काफी बढ़ गया है। इन पार्टियों का वर्चस्व ज्यादातर युवाओं और पुरुषों पर है। इसके अलावे दक्षिणपंथी पार्टिंयों का प्रभाव फ्रांस, इटली और ऑस्ट्रिया के अपने पारंपरिक गढ़ से बाहर भी फैल गया है और अब उदारवादी नीदरलैंड्स और स्केंडिनेवियाई देशों में भी उसका प्रभाव दिखने लगा है। दक्षिणपंथी वर्चस्व का बढ़ने का एक कारण राष्ट्रवाद और सासंकृतिक पहचान है। लोगों को यह महसूस होने लगा या फिर उसे यह महसूस कराया जाने लगा कि वे अपनी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को खो रहे हैं। ऐसे में क्या यह माना जा सकता है कि धीरे-धीरे यूरोप की राजनीतिक चेतना में बदलाव आ रहा है? क्या यह समझा जा सकता है कि यूरोपीय राजनीति में इसका दूरगामी प्रभाव पड़ेगा? संभवत: हां, क्योंकि दक्षिणपंथी पार्टियां राष्ट्रवाद के प्रति खुद को समर्पित दिखाती हैं और इसका असर कहीं न कहीं देश की आवाम पर पड़ता है। साथ ही पड़ोसी देश पर भी इसका असर देखने को मिलता है।
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