अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने सोमवार को रूस के 116 राजनयिक निकाल दिए थे। इन सभी राजनयिकों पर खुफिया अधिकारियों के काम करने का भी संदेह जताया गया था। यह कार्रवाई करने वालों में फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, पोलैंड के अलावा कई देश शामिल हैं। यह कदम रूसी डबल एजेंट सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया पर मार्च के पहले हफ्ते में नर्व एजेंट से हुए हमले के बाद उठाया गया है। दोनों का ब्रिटेन के अस्पताल में इलाज चल रहा है, उनकी हालत गंभीर है। इस घटना के बाद ब्रिटेन पहले ही 23 रूसी राजनयिक निष्कासित कर चुका है।
रूस का आरोप है कि यह पूरा विवाद अमरीका के दबाव के चलते हुआ है। गौरतलब है कि इसे शीत युद्ध के बाद रूस के खिलाफ अमरीका की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है। रूस के विदेश मंत्रालय लावरोव ने कहा है कि अमरीका के इस कदम से साफ होता है कि टकराव की स्थिति अब भी जारी है।
वैश्विक राजनीति में जबर्दस्त हलचल मचाने वाले इस मामले के बाद अब रूस में होने वाले फुटबॉल विश्वकप पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यूरोपीय देश आइसलैंड ने फीफा का राजनयिक स्तर पर बहिष्कार का ऐलान किया है। आइसलैंड ने रूस के साथ एक उच्च स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता भी स्थगित कर दी है। आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया ने भी ऐसा ही कदम उठाने के संकेत दिये हैं।