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तुर्कीः ट्वीटर ने रोका तख्तापलट का प्रयास, 6000 गिरफ्तार

तख्तापलट की कोशिश के 20 मिनट बाद ही एर्डोगन ने ट्वीट किया कि आम लोग सड़कों पर निकलें और इस तख्तपलट को नाकाम करें

Jul 18, 2016 / 08:55 am

सुनील शर्मा

turkey pm

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अंकारा। कभी फेसबुक और ट्विटर जैसी माइक्रोब्लॉगिंग साइट को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझते थे, मगर अब उसी ट्विटर और फेसबुक ने उनकी सत्ता बचाने में मदद की। देश का लोकतंत्र सेना के हाथों जाने से बच गया। जब सेना ने टीवी और रेडियो पर कब्जा कर लिया तो उन्होंने फेसबुक और ट्विटर की वीडियो सेवा के जरिए ही लोगों से सेना के खिलाफ उतरने की अपील की, जिसके बाद अवाम ने सेना का रास्ता रोक दिया।

इस वक्त एक रिपोर्टर के साथ ‘फेस टाइम’ करते हुए एर्दोगन की तस्वीर की चर्चा दुनिया भर में हो रही है। दरअसल, जिस वक्त दुनिया भर में अरब क्रांति का खुमार लोगों पर चढ़ रहा था, ऐसे में एर्दोगन भी अपने दमनकारी शासन से खुद डर गए थे। उन्हें डर था कि कहीं उनके खिलाफ भी विद्रोह नहीं शुरू हो जाए। इसीलिए उन्होंने ट्विटर कभी इस्तेमाल नहीं करने की बात कही और कसम खाई थी कि देश से एकदिन ट्विटर का नामोनिशान मिटा देंगे।



20 मिनट बाद ही ट्वीट
तख्तापलट की कोशिश के 20 मिनट बाद ही एर्डोगन ने ट्वीट किया कि आम लोग सड़कों पर निकलें और इस तख्तपलट को नाकाम करें। हुआ भी वही। लोग हजारों की संख्या में सड़कों पर निकले, टैंकों के आगे लेट गए।



पीएम ने भी की अपील
ट्विटर पर ही एर्डोगन के अलावा प्रधानमंत्री बिन अली यिलदरिम ने लोगों को बताया कि फ़ौज का सिर्फ एक हिस्सा इसमें शामिल है और सरकार कंट्रोल में है। विपक्ष ने भी सरकार के साथ खड़े होने का ऐलान इसी सोशल मीडिया पर किया। लोगों के सड़क पर उतरने और टैंकों पर चढ़कर विद्रोही सैनिकों की पिटाई तक और फिर उनके हाथ खड़े कर टैंक छोडऩे के दृश्यों ने जता दिया कि तख्ता पलट की कोशिश किस तरह नाकाम रही है। सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट हो रही इन तस्वीरों ने न सिर्फ तुर्की बल्कि पूरी दुनिया को हर पल घट रही जानकारी दी।

2700 न्यायाधीशों सहित 6000 से अधिक लोग गिरफ्तार
अंकारा। तुर्की की सरकार ने शुक्रवार की रात हुई सैन्य तख्तापलट की विफल कोशिश में शामिल होने के आरोप में 6,000 लोगों को हिरासत में लिया है। इस बीच, अमरीका ने रविवार को तुर्की में तख्तापलट की साजिश में शामिल होने के अंकारा के दावे को खारिज कर दिया है। तुर्की के न्याय मंत्री बेकिर बोज्दाग ने कहा कि साजिशकर्ताओं के सफाए के लिए शुरू गिया गया अभियान जारी है और आने वाले दिनों में गिरफ्तारियां बढ़ सकती हैं।

तुर्की सरकार द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों में सैन्य अधिकारियों के अलावा 2,700 न्यायाधीश भी शामिल हैं। रविवार को तुर्की के पश्चिमी डेनिजली प्रांत से सेना के 50 से अधिक शीर्ष अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है। तख्तापलट की साजिश नाकाम होने के बाद एक हेलीकॉप्टर में तुर्की के आठ सैनिक ग्रीस पहुंचे और राजनीतिक शरण की मांग की। रविवार को तुर्की के इन आठ सैनिकों ने तख्तापलट की साजिश का हिस्सा होने से इनकार किया, लेकिन आशंका जताई कि यदि उन्हें तुर्की वापस भेजा गया तो उनके खिलाफ पक्षपातपूर्ण कानूनी कार्यवाही हो सकती है। ग्रीस ने इन्हें शरण देने से मना कर दिया है।

Coup Plot

तुर्की के रक्षा मंत्री फिकरी इसिक ने शनिवार को तख्तापलट की कोशिश करने वाले सैनिकों द्वारा बंधक बना लिए गए तुर्की के तीन कमांडरों को छुड़ा लिए जाने की घोषणा की। इसके अलावा राजधानी अंकारा में अकिंकी सैन्य अड्डे से 72 साजिशकर्ताओं को और गिरफ्तार किया गया है।

इस बीच तुर्की सरकार की ओर से अमरीका में बस गए इस्लामिक धर्मगुरु फेतुल्लाह गुलेन पर तुर्की में अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाए जाने के बाद तुर्की और अमरीका में रविवार को आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला।

अमरीका से गुलेन को प्रत्यर्पित करने की मांग
अमरीका में आत्म-निर्वासन की जिंदगी जी रहे गुलेन ने तुर्की में तख्तापलट में अपनी भूमिका से इनकार किया है। गुलेन ने कहा है कि हो सकता है कि एरदोगान ने खुद ही तख्तापलट का यह नाटक रचा हो। जबकि, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एरदोगन ने अमरीका से गुलेन को प्रत्यर्पित करने की मांग की। इस पर अमरीका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने कड़ा जवाब देते हुए कहा, तुर्की को इस संबंध में हमारे सामने कोई उचित सबूत पेश करना चाहिए जो जांच में खरा उतरे। ऐसा होता है तो अमरीका उसे स्वीकार करेगा, उस पर विचार करेगा और उचित निर्णय लेगा।

तख्तापलट के विरोध में एक हुए राजनैतिक दल
तुर्की के श्रम मंत्री सुलेमान सोयलू ने तख्तापलट की साजिश के पीछे अमरीकी हाथ होने की शंका जाहिर की थी। इस बीच तुर्की में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच अभूतपूर्व एकता देखने को मिली। सभी दलों ने एक सुर में तख्तापलट की कोशिश की निंदा की। राष्ट्रपति एरदोगन ने कहा कि तुर्की के संसद में मौत की सजा को फिर से लागू करने पर विचार किया जाएगा।

तुर्की के प्रधानमंत्री बिनाली यिलदिरीम ने 15 जुलाई का दिन तुर्की में लोकतंत्र महोत्सव दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है। इसी दिन तुर्की के आम नागरिकों ने सैन्य तख्तापलट की कोशिशों को नाकाम कर दिया था। यिलदिरीम ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की सैन्य तख्तापलट की कोशिशों पर रोकथाम के लिए संसद में चर्चा होगी और हालिया साजिशकर्ताओं को सख्त सजा देने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू हो चुकी है।

ओबामा ने ‘कानून के दायरे में रहकर’ कार्रवाई करने की अपील की
यिलदिरीम ने कहा, 15 जुलाई तख्तापलट की साजिश के कारण लोकतंत्र पर काला धब्बा हो सकता था, लेकिन तुर्की के आम नागरिकों की लोकतंत्र और आजादी के प्रति निष्ठा का मैं आभारी हूं जिन्होंने इस दिन को लोकतंत्र के महोत्सव में तब्दील कर दिया। हमारे लोगों ने इस आतंकी गिरोह को सबसे बेहतर जवाब दिया है। इस बीच रविवार को अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित दुनिया के कई अन्य शीर्ष नेताओं ने तुर्की के सभी पक्षों से ‘कानून के दायरे में रहकर’ कार्रवाई करने की अपील की।

निर्वासित धर्मगुरु ने लगाया आरोप, राष्ट्रपति ने लिखी पटकथा
अमरीका में रह रहे एक तुर्किश इस्लामिक धर्मगुरु फतहुल्लाह गुलेन ने दावा किया है कि तुर्की में हुई तख्तपलट की साजिश पूरी तरह से प्रायोजित थी। गुलेन पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के करीबी रह चुके हैं। वह पेंसिलवेनिया में रहते हैं और तर्की ने अमरीका से उनके प्रत्यर्पण की बात भी कही है। गुलेन ने यह दावा किया कि एर्दोगन ने सबकुछ विपक्षी पार्टियों के विरोध को कुचलने के लिए किया है। वहीं तुर्की में असफल सैन्य विद्रोह के बाद 2,745 जजों हिरासत में ले लिया गया है।

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