बोर्ड एग्जाम में बच्चों द्वारा स्कूल के अलावा घर पर भी पढाई की जाती है और उन पर अभिभावक की निगरानी हमेशा ही रहती है। बच्चे का मन पढ़ाई में कितना लग रहा है इसकी जाँच उसके रिपोर्ट कार्ड से पता की जा सकती है। टेस्ट से लेकर अर्द्धवार्षिक परीक्षा तक प्राप्तांक में गिरावट के पीछे का रहस्य जानना चाहिए। अभिभावक अपने बच्चे रिपोर्ट कार्ड के साथ घर पर बच्चे का स्वभाव और रूचि को जरूर पहचानें। स्कूल में उसके दोस्त कौन और कैसे हैं? बच्चे में लव अफेयर के कारण चिड़चिड़ापन देखने को मिलता है और उसका सीधा असर Exam Result पर पड़ता है। बच्चे को स्कूली शिक्षा तक मोबाइल के साथ-साथ दिखावे वाली सुविधाओं से दूर रखना चाहिए।
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी गांव से शहर की ओर आते हैं। शहर वाले भी खुद के घर पर तैयारी न करके पुस्तकालय ज्वाइन करते हैं। कोचिंग संस्था और कॉलेज में 70 प्रतिशत अभ्यर्थी पढ़ाई के प्रति इच्छुक है और 30 प्रतिशत वो अभ्यर्थी है जिनके अभिभावक उन्हें जबरदस्ती पढ़ाई के लिए भेज रहे हैं। उन 30 प्रतिशत अभ्यर्थियों के लिए कहना गलत होगा की वो पढाई नहीं करते, क्योंकि उनकी पढ़ाई के प्रति रुचि नहीं है। उदाहरण के लिए किसी बच्चे की रूचि तकनिकी,सिंगिंग, गेम, एथलेटिक्स में है और अभिभावक चाहते हैं वो डॉक्टर बनें तो मुमकिन नहीं है। मगर कुछ बच्चे पढ़ाई के लिए गाँव से आते हैं और शहर की चकाचौंध में पागल हो जाते हैं, घरवालों द्वारा मासिक खर्चा भेजा जाता है जिसे अपने शौक पर खर्च कर दिया जाता है। 40 प्रतिशत अभ्यर्थी लव अफेयर में अपनी पढ़ाई से दुरी बना लेते हैं और वो एक ही कोर्स को पूरा करने में सालों लग जाते हैं। कॉलेजों में पेपर अंतिम वर्ष तक पास नहीं हो पाते। अभ्यर्थी/विद्यार्थी परीक्षा की संस्था में प्रवेश के साथ ही नए दोस्त बनाता है। दोस्त जिस प्रकार के होंगे आपको बदल देंगे चाहे वो अच्छे हो या बुरे। घरवाले बच्चे का एडमिशन करवाने के साथ ही नौकरी के सपने देखने लगते है मगर बच्चा किस दिशा में जा रहा इसका आंकलन वो नहीं करते।
प्रतियोगी पपरीक्षा की तैयारी के समय लव अफेयर से दूर रहें। अपना एक क्रियाकलापों का टाइम टेबल बना लें। पढ़ाई के लिए जब घर से निकले हैं तो अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में ही लगाएं, करियर बनने के बाद एन्जॉय करने का समय बहुत होगा। जो सपना लिए आप गाँव या शहर से कोचिंग तक पहुंचे हो उसे पूरा करने की ठान लें। कोचिंग और परीक्षा तैयारी के समय में दोस्ती से जितनी हो सके दुरी बना लें, क्योंकि करियर बनने के बाद जहाँ मर्जी समय व्यतीत कर सकते हैं। अभिभावक व्यस्त दिनचर्या में से कुछ समय निकालकर बच्चे को संभालते रहें और संस्था में बच्चे की तैयारी का जायजा अवश्य लेवें। जिस प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उसका पाठ्यक्रम देखकर संबंधित विषय की पस्तकें खरीदें, याद रहें विस्तृत विषय का अध्ययन परीक्षा के लिए बेहतर होगा। परीक्षा पैटर्न से संबंधित सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के आवेदन करने चाहिए क्योंकि किसी परीक्षा मार्क्स कम आए हैं तो किसी परीक्षा में चयन भी हो सकते हैं। सामान तैयारी में सभी परीक्षा देनी चाहिए। भाग्य को 10 प्रतिशत और मेहनत को 90 प्रतिशत अंक देकर तैयारी करनी चाहिए।