दरअसल, अभी तक छात्रनेता विद्यार्थियों में पैंठ बनाने के लिए गैस पेपर ही बांटते थे। मगर अब इसका स्वरूप भी बदल चुका है। गैस पेपर्स का स्थान धीरे-धीरे नकली पेपर ले रहे हैं। ये दिखने में एकदम असली जैसे होते हैं। कई बार तो इन पर पेपर कोड आदि भी लिखा होता है। ऐसे पेपर परीक्षा के कुछ समय पहले ही वाट्सऐप पर वायरल किए जा रहे हैं। जिससे छात्र-छात्राएं गुमराह हो जाएं।
फर्जी पेपर्स से सतर्क रहना जरूरी
विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर नवीन माथुर ने बताया कि सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले फर्जी पेपर्स से सतर्क रहना जरूरी है। कई विद्यार्थी इन फर्जी पेपर्स के जाल में फंस जाते हैं। जब वे प्रश्न पेपर से नहीं मिलते तो उनकी स्थिति खराब हो जाती है।