एचआरडी मिनिस्ट्री के मुताबिक इस मामले पर मिनिस्ट्री के अंदर लंबी चर्चा के बाद तय किया गया कि पेपर सेट करने वालों को साइंटिफिक तरीके से पेपर तैयार करना चाहिए। पेपर में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसका टेस्ट लिया जा रहा है और उनमें किस क्वॉलिटी को खोजने की कोशिश की जा रही है।
हालांकि कहा जा रहा है कि NET एग्जाम में दिल्ली में जितने कठिन सवाल होंगे उतने शायद अरूणाचल प्रदेश या किसी दूसरे राज्य के छात्रों के लिए नहीं होंगे। इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाकर डिफिकल्टी लेवल तय किया जाएगा जिससे कि सभी स्टूडेंट्स को बराबर मौका मिले। नेट के बाद जेईई, नीट और सीमैट के लिए भी पेपर सेट किए जाएंगे।
अभी पेपर सेट करने वाले कोचिंग सेंटर से प्रतियोगिता करने करते हुए दिखते हैं। उनका मकसद जिस तरह से कोचिंग सेंटर पेपर की तैयारी कराते हैं उससे ज्यादा कठिन सवाल तैयार करना होता है। कोचिंग सेंटर और पेपर सेटर्स की इस प्रतिस्पर्धा में स्टूडेंट्स घुट जाते हैं। लेकिन अब नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पेपर सेट करने वालों के साथ वर्कशॉप कर इस बात का ध्यान रखेगी कि किसी भी पेपर का डिफिकल्टी लेवल कितना होना चाहिए। इसके अलावा यह भी बताया जाएगा कि पेपर सेट करते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि सवाल एक्सपर्ट के लिए नहीं स्टूडेंट्स के लिए हैं। इसके अलावा कठिन सवालों के लिए भी फील्ड रिसर्च कराई जाएगी।