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… लो निगम के पास 2 विकल्प, कलेक्टर दर खुद करवाएं सफाई, या ठेका में दें

नगर निगम, भिलाई में सफाई के नाम पर खर्च लगातार बढ़ाया जा रहा है। अधिकारी खुद चाहते हैं कि यह काम ठेके पर ही चलता रहे। यही वजह है कि उच्चाधिकारी के सामने ऐसे तर्क दिया जाता है, जिससे ठेकेदार के जेब में हर माह करोड़ों जाए। भिलाई निगम सफाई के नाम पर हर साल 35 करोड़ से अधिक खर्च कर रहा है।

भिलाईJun 04, 2024 / 09:57 pm

Abdul Salam

नगर निगम, भिलाई की माली हालत खस्ता है। हर माह अपने कर्मियों को वक्त पर वह वेतन देने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में इंदौर की तर्ज पर 70 करोड़ रुपए सफाई के नाम पर साल में खर्च किया जाए या कलेक्टर दर पर खुद ही 25 करोड़ के आसपास इस काम को पूरा किया जाए। यह दो विकल्प निगम आयुक्त के समक्ष है। निगम के अधिकारी चाहते हैं कि ठेके पर काम हो। वहीं जनप्रतिनिधियों का तर्क है कि इस काम को कलेक्टर दर पर निगम खुद करवाए। टेंडर खत्म होने के बाद भी, आदर्श आचार संहिता के की वजह से निविदा जारी नहीं की गई है। वर्तमान में सफाई के काम को 15 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है।

सफाई कामगार है मौजूद

नगर निगम, भिलाई में सफाई कामगार मौजूद हैं। काम उन सफाई कर्मियों को ही करना है, जो ठेकेदार के पास कर रहे थे। इन सफाई कर्मियों को अलग-अलग वार्ड में बांट देना है। इसके बाद हर वार्ड में एक सुपरवाइज को नियुक्त करना होगा। जो काम पर नजर रखे और हाजिरी रजिस्टर निगम के जोन दफ्तर में लाकर जमा करें। इसके बाद जोन के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पर जवाबदारी हो, कि वह हर वार्ड का हर दिन कम से कम एक बार निरीक्षण करें, वहां जो कमी मिले, उसे वह आयुक्त के साथ शेयर करे।

एक वार्ड में 25 सफाई कामगार

नगर निगम के एक वार्ड में अगर 25 सफाई कामगार को तैनात किया जाता है, तो कचरा एकत्र हर दिन किया जाना है। नाली व सड़क की सफाई सप्ताह में एक दिन भी की जाती है, तो बहुत है। वैसे भी किसी भी वार्ड में हर दिन नाली की सफाई नहीं होती है। इसमें एक सुपरवाइजर भी जरूरी है। सप्ताह में एक दिन कचरा एकत्र करने वाले को भी आराम और सुपरवाइजर को भी। निगम के 52 वार्ड में इस तरह से 1,300 सफाई कामगारों से काम करवाया जा सकता है।

आवश्यक पडऩे पर इसमें से ही बन सकती है गैंग

आपात काल में हर वार्ड से एक श्रमिक को निकालकर एक 50 की गैंग तैयार की जा सकती है। कम खर्च में काम करने के लिए अगर आयुक्त पहल करते हैं और सफाई से जुड़े अधिकारी फिल्ट में रहें, तो इतने कर्मचारी से बहुत बेहतर सफाई करवाई जा सकती है। वर्तमान में पार्षद पहले ही आरोप लगा रहे हैं, कि 50 की गैंग मौके पर कहीं नजर नहीं आती है।

सफाई कार्य के लिए चाहिए निगम को वाहन

नगर निगम, भिलाई के पास पहले ही हैंडट्राली, रिक्शा, ई-रिक्शा, काम्पेक्टर, जेसीबी, डम्फर, ट्रेक्टर, ऑटो व दर्जन भर से अधिक सफाई के लिए आए नए ट्रैक्टर मौजूद हैं। ई-रिक्शा को कचरा रास्ते में कहीं डंप नहीं करना है, कचरा इन ट्रैक्टरों में ही डंप करना है, लेकिन अभी भी जगह-जगह सड़क के किनारे डंप किया जाता है। इस व्यवस्था को बदलने की जरूरत है। इससे दिनभर सड़क के किनारे पड़ा कचरा नजर आना बंद हो जाएगा। निगम ने इस शर्त पर ही ठेकेदार को ई-रिक्शा व दूसरे वाहन दिए थे कि जिस हालत में दे रहे हैं, वैसे ही लौटाना है।

निगम को बचाएं नुकसान से

नगर निगम, भिलाई के अधिकारी प्रति जेसीबी 1,166 रुपए एक दिन के दर पर किराए से ठेकेदार को दिए हैं। वहीं चैन माउंटेन को ठेकेदार से लाखों रुपए किराए पर लिए हैं। इस तरह से योजना बनाकर निगम को नुकसान पहुंचाने से बचाना होगा। इसके लिए निगम के अधिकारियों को खुद ही आगे आना होगा।

ठेकेदार भी लेगा बढ़े दर पर काम

नगर निगम, भिलाई अगर शासन से तय नए न्यूनतम दर पर सफाई कामगारों से काम करवाता है। तब भी ठेके पर काम देने की अपेक्षा वह कम ही पड़ेगा। इसके पीछे वजह यह है कि ठेकेदार एक ओर कर्मचारी की संख्या अधिक बताएगा, दूसरी ओर नए न्यूनतम दर को देखते हुए ही वह, रेट कोड करेगा। इस तरह से कम दर पर ठेकेदार भी काम नहीं लेगा। https://www.patrika.com/prime/exclusive/omg-acc-officer-murdered-police-engaged-in-investigation-18742543

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