scriptएक्सक्लूसिव : जानिये अयोध्या में मंदिर मस्जिद झगडे का पांच सौ साल पुराना इतिहास ..कब क्या कैसे हुआ | Ram janm Bhoomi Babari Masjid Case History Latest News In Hindi | Patrika News
फैजाबाद

एक्सक्लूसिव : जानिये अयोध्या में मंदिर मस्जिद झगडे का पांच सौ साल पुराना इतिहास ..कब क्या कैसे हुआ

सन 1528 में रखी गयी थी विवादित ढाँचे की नींव तब से लेकर आज तक तारीख ब तारीख जानिये देश के सबसे बड़े मुकदमे की पूरी कहानी

फैजाबादFeb 07, 2018 / 05:01 pm

अनूप कुमार

Ram janm Bhoomi Babari Masjid Case History Latest News In Hindi
अनूप कुमार

फैजाबाद (अयोध्या ) गुरुवार को दिल्ली में देश की सबसे बड़ी अदालत में देश के सबसे बड़े मुकदमे की सुनवाई शुरू हो रही है,इस मुकदमे में हिन्दू पक्ष से अलग अलग पक्षकार हैं वहीँ मुस्लिम पक्ष से भी इस मुकदमे में दखल देने वालों में सुन्नी वक्फ बोर्ड के बाद अब एक नया नाम शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड का जुड़ गया है जिसने बाबरी मस्जिद बनवाने वाले मेरे बाक़ी को शिया मुसलमान बता कर इस जगह पर शिया मुसलमानों का हक़ होने का दावा करते हुए सुपीम कोर्ट में अर्जी दी है कि इस मुकदमे की जल्द से जल्द सुनवाई कर फैसला दिया जाए और विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण और इस स्थान से कहीं दूर मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र में अमन की मस्जिद बनाने की पैरवी की है ,सुप्रीम कोर्ट में बीते 5 दिसम्बर 2017 को इस मुकदमे पर पहली बार सुनवाई हुई लेकिन अदालत ने इस मुकदमे में अगली तारीख तय कर दी जो कि 8 फ़रवरी दिन गुरुवार को तय हुई है .अब इस मुकदमे में डे टू डे सुनवाई होने की संभावना है और उम्मीद इसी बात कि है कि शायद बीते 6 दशक से अधिक समय से चल रहे इस मुकदमे का फैसला अब हो सके ,लेकिन फैसला आने से पहले अपनी इस ख़ास खबर में हम आपको बता रहे हैं अयोध्या में मंदिर मस्जिद विवाद का पांच सौ साल पुराना इतिहास ..
जानिये कब क्या हुआ कैसे शुरू हुआ भगवान श्री राम के जन्मस्थान को लेकर विवाद
1528: बाबर ने यहां एक मस्जिद का निर्माण कराया जिसे बाबरी मस्जिद कहते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार इसी जगह पर भगवान राम का जन्म हुआ था। 1853: हिंदुओं का आरोप है कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ। मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई। 1859: ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी। 1885: मामला पहली बार अदालत में पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की। 23 दिसंबर 1949: करीब 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया। 16 जनवरी 1950: गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर कर रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी। 5 दिसंबर 1950: महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया। मस्जिद को ‘ढांचा’ नाम दिया गया। 17 दिसंबर 1959: निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया। 18 दिसंबर 1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया। 1984: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया। एक समिति का गठन किया गया। 1 फरवरी 1986: फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। ताले दोबारा खोले गए।नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया। जून 1989: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन देना शुरू करके मंदिर आंदोलन को नया जीवन दे दिया। 1 जुलाई 1989: भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवा मुकदमा दाखिल किया गया। 9 नवंबर 1989: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी। 25 सितंबर 1990: बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली, जिसके बाद साम्प्रदायिक दंगे हुए। नवंबर 1990: आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। अक्टूबर 1991: उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया। 6 दिसंबर 1992: हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढाह दिया। इसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। जल्दबाजी में एक अस्थायी राम मंदिर बनाया गया। 16 दिसंबर 1992: मस्जिद की तोड़-फोड़ की जिम्मेदार स्थितियों की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन हुआ। जनवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था। अप्रैल 2002: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की। मार्च-अगस्त 2003: इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं। मुस्लिमों में इसे लेकर अलग-अलग मत थे। सितंबर 2003: एक अदालत ने फैसला दिया कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए। जुलाई 2009: लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी। 28 सितंबर 2010: सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया। 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े में जमीन बंटी। 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। जुलाई 2016: बाबरी मामले के सबसे उम्रदराज वादी हाशिम अंसारी का निधन।
16 सितम्बर 2017 : इस मुकदमे में हिन्दू पक्ष से मुख्य पक्षकार निर्मोही अखाड़े के महंत भास्कर दास का निधन
05 दिसम्बर 2017 : सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे की पहली सुनवाई कोर्ट ने अगली तारीख 8 फ़रवरी 2018 तय की .

Home / Faizabad / एक्सक्लूसिव : जानिये अयोध्या में मंदिर मस्जिद झगडे का पांच सौ साल पुराना इतिहास ..कब क्या कैसे हुआ

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो