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फैजाबाद

श्री श्री रविशंकर के पहुंचने से पहले राम मंदिर पर आया बड़ा बयान, मुश्किल में आई भाजपा

श्री श्री रविशंकर के पहुंचने से पहले राम मंदिर पर आया बड़ा बयान, मुश्किल में आई भाजपा

फैजाबादNov 16, 2017 / 10:28 am

Ruchi Sharma

ram mandir

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आयोध्या. श्रीराम जन्म भूमि को लेकर सुलह समझौता की रट का पुरातात्विक साक्ष्य मिलने के उपरांत अब कोई औचित्य नहीं है। न्यायालय साक्ष्य मांगता है, जो हिन्दुओं के पक्ष में है। फिर बातचीत कैसी और क्यों? हिन्दुओं की ही सम्पति और वह ही दूसरों के सामने गिड़गिड़ाये ऐसा अब नहीं होगा। मुस्लिम समाज खुद पूर्व में न्यायालय में दिये गये शपथ पत्र का पालन करते हुये अपनी याचिका वापस ले। जो लोग सुलह समझौते की बात कर रहे है, उनकी प्रत्येक पहलुओं पर विहिप नजर रख रही है। अयोध्या में मंदिर था, मंदिर है और रहेगा। अब भव्यता देना बाकी है। जो संसद के माध्यम से ही होगा ये कहना है राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली विहिप का।
विहिप के प्रान्तीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने अयोध्या आ रहे श्री श्री रविशंकर पर कहा विहिप और संत धर्माचार्य लगातार धर्मसंसद और केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठकों के माध्यम से कहते आये है कि कानून बनाकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो और अयोध्या की शास्त्रीय सीमा के अंदर मस्जिद का निर्माण संभव नहीं है।
पेजावर मठ उडुप्पी ( कर्नाटक ) में 24 से 26 नंवबर के दौरान पंद्रहवी “धर्मसंसद” का आयोजन किया जा रहा है। हजारों की संख्या में संत धर्माचार्य शामिल होंगे और श्रीराम जन्मभूमि के साथ ही गौ, गंगा और सामाजिक समरस्ता जैसे देश के गंभीर विषयों पर मंथन करेंगे।
विहिप मीडिया प्रभारी ने कहा कि सर्वोच्चन्यायालय द्वारा दिये गये सुझाव के उपरांत सुलह समझौता वादियों की सक्रियता कुछ अधिक ही बढ़ गयी है। कुछ ऐसे तत्व सक्रिय है, जिनका इस आंदोलन में दूर-दूर तक कोई योगदान नहीं है। फिर भी समझौता अभियान चला रहे है। उन्होंने इसे बेवजह तूल देना बताया और कहा इतिहास गवाह है कि समझौते छल धोखे से परिपूर्ण रहा समझौते का पालन होता तो महाभारत जैसे युद्ध और चीन,पाकिस्तान जैसे पड़ोसी आंख दिखाते? यही नहीं समझौते का ही परिणाम रहा कि देश की आजादी बड़े संघर्ष के उपरांत प्राप्त हुई उसके बाद इस राष्ट्र का विभाजन और पाकिस्तान जैसे आतंकी देश का जन्म और कश्मीर जैसी समस्या। क्या समझौता अयोध्या में एक और विभाजन को जन्म नहीं देगा? क्या विवाद सदैव स्थायी बना रहे? क्या सम्पति का मालिक स्वयं अनुनय विनय करें?
उन्होंने स्मरण कराते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष ने स्वंय न्यायालय में शपथपत्र देकर कहा था कि मंदिर सिद्ध होने पर वह स्वंय इस विवाद से हटकर निर्माण में सहयोग करेगा। अब जब सारे तथ्य और कत्थय सभी मंदिर को सिद्ध कर रहे है । उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण अयोध्या श्रीराम की है और जहां भगवान का प्रकटीकरण हुआ वह ही रामलला की जन्मभूमि है। 77 एकड़ भूमि पर मंदिर ही बनेगा और कुछ भी नहीं सुविकार करेगा हिन्दू समाज।
उन्होंने कहा देश में आजादी के उपरांत और विभाजन के दो वर्ष बाद ही सरदार पटेल और अन्य नेताओं के कुशल प्रयास से गुजरात के सोमनाथ ज्योतिर्लिंग पर भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया और वही अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का विवाद न्यायालय की परिक्रमा करता रहा? अगर उसी समय इसका समाधान कर दिया जाता तो शायद इतने असंख्य हिन्दुओं का रक्त ना बहता। विहिप ने कहा इस देश में सरकारें आयीं और गयी अनेकों ने समाधान का प्रयास किया परंतु तुष्टिकरण के कारण वह सफल नहीं हुये। 2010 में उच्च न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर निर्णय दिया भी तो उसने संमपति के स्वामित्व की जगह विभाजन कर दिया। हिन्दुओं ने स्वामित्व की अपील की थी ना की संपति के बंटवारे की। उन्होंने का आज पुनः उसी स्थान पर वापसी अब उचित नहीं है?
श्रीराम इस देश के करोड़ों हिन्दुओं की आस्था श्रद्धा और सामाजिक समरस्ता के केंद्र है।वह स्वंय इस देश के संविधान में है। वह अपनी जन्मभूमि पर विराजमान भी है।जिनकी पूजा अर्चना लगातार चलती आ रही है।
पत्थरों के आने का क्रम 1990 से जारी है, और आगे भी जारी रहेगा। सम्पूर्ण मंदिर में 1.75 लाख घनफुट पत्थर लगने है। जिसमें 50 प्रतिशत पत्थरों की खेपअयोध्या आई और मंदिर मे प्रयुक्त पत्थरों का 67 प्रतिशत भाग निर्माण हो चुका है।

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