इन सियासी समीकरणों की नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब के मुक्तसर जिले के मलोट में हुई कृषि कल्याण रैली में पड़ती दिखाई दे रही है, जहां मोदी के मंच पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी नजर आए। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पहले ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव लडऩे का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हरियाणा की राजनीतिक परिस्थितियां अकाली दल और भाजपा को राजनीतिक गलबहियों के लिए मजबूर कर दें।
हरियाणा के आधा दर्जन जिलों के भाजपा व अकाली दल कार्यकर्ता भी मोदी की मलोट रैली में शिरकत करने पहुंचे हैं। उनका नेतृत्व खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने किया है। हरियाणा में फिलहाल इनेलो और बसपा के बीच राजनीतिक गठबंधन है।
इस गठबंधन का असर यह हो रहा कि एसवाईएल नहर निर्माण के लिए चलाए जा रहे जेल भरो आंदोलन में उम्मीद से कहीं अधिक भीड़ जुट रही है। सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस भले ही इस गठबंधन को कुछ माह का नापाक मेल बता रहे हो,लेकिन दोनों दलों की हालत खराब है। हरियाणा में दो से तीन दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां सिख मतदाता निर्णायक की भूमिका में खड़ा दिखाई देता है। ऐसे में भाजपा और अकाली दल के बीच अगले चुनाव में कोई राजनीतिक समझौता हो जाए, इसकी पूरी संभावना बन गई है।
हालांकि हरियाणा में शुरू से ही अकाली दल का हरियाणा में इनेलो के साथ गठबंधन रहा है। अकाली दल नेता हरियाणा में जाकर इनेलो प्रत्याशियों के समर्थन में वोट मांगते रहे हैं। अकाली दल और इनेलो ने मिलकर कई चुनाव भी लड़े। सिरसा जिले की कालांवाली सीट से अकाली दल का एक विधायक भी है, जिसने इनेलो को समर्थन दे रखा है। एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर पंजाब की हठधर्मिता के चलते इनेलो ने अकाली दल से अपने राजनीतिक रिश्ते तोडऩे का ऐलान कर दिया था। उसके बाद हालांकि बादल और चौटाला परिवार के सदस्य आपस में मिले भी, मगर दोनों दलों के बीच राजनीतिक संबंध नजर नहीं आए।
इनेलो से राजनीतिक संबंध खत्म होने के बाद अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने राज्य की सभी 90 सीटों पर चुनाव लडऩे तथा संगठन को मजबूती के साथ खड़ा करने का ऐलान किया था। अब ताजा स्थिति में जिस तरह से अकाली दल और भाजपा नेता एक मंच साझा कर रहे, उसे देखकर लग रहा कि अकालियों व भाजपाइयों की यह दोस्ती हरियाणा में कोई नया गुल खिला सकती है।