डीजीपी ने बताया कि 8 जुलाई को पहले वीडियो के वायरल होने के बाद और भारत और विदेश दोनों में भारी अलोचना होने के बाद जंडियाला पुलिस, अमृतसर (ग्रामीण) ने सूरी के विरुद्ध आपराधिक केस एफआईआर नं. 208, आई पी सी की धारा 153 -ए, 354 ए, 509 और 67 आई टी ऐक्ट के अंतर्गत मामला दर्ज किया था। डीजीपी ने कहा कि सूरी की तरफ से उक्त आपत्तिजनक वीडियो क्लिप में शामिल होने से इन्कार करने के बावजूद उन्होंने अमृतसर (ग्रामीण) पुलिस के द्वारा संदिग्ध व्यक्ति के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्यवाही के आदेश दिए थे। गुप्ता ने कहा कि उन्होंने पंजाब ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन को भी निर्देश दिए हैं कि फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी से जल्द से जल्द क्लिप की जांच करवाई जाये। इसके बाद की गई जांच से पता चला कि गिरफ्तारी के डर से सूरी इन्दौर भाग गया था। डीजीपी ने बताया कि यह ऑपरेशन मध्य प्रदेश पुलिस के तालमेल के साथ सफलतापूर्वक चलाया गया था।
डीजीपी ने कहा कि उसने दो पुलिस टीमों को इन्दौर भेजते समय मध्य प्रदेश में अपने समकक्ष अधिकारी विवेक जौहरी के साथ निजी तौर पर बात की थी। 1 डीएसपी (महिलाओं के विरुद्ध अपराध) हरीश बहल, 2 एस.आई, 3 ए.एस.आई और 5 कांस्टेबलों वाली टीमों ने इन्दौर पहुँचने के लिए 21 घंटों तक लगातार सफर करने के बाद सूरी को पकड़ा। पंजाब पुलिस अब जमानत रद्द करने सम्बन्धी अनुरोध के लिए सम्बन्धित न्यायिक अदालतों में जा रही है जहाँ सूरी को पहले ही जमानत दी जा चुकी है।
डीजीपी ने अपने भाषणों, बयानों, लेखों, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और पोस्टों आदि के जरिये किसी भी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध सांप्रदायिक नफरत भडक़ाने की कोशिश के विरुद्ध पुलिस की शून्य-सहिष्णुता अपनाने वाली नीति पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि पंजाब पुलिस महिलाओं के सम्मान, सुरक्षा के प्रति अति संवेदनशील है और महिलाओं के चरित्र पर कीचड़ उछालने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध कानून के अनुसार सख्त कार्यवाही की जायेगी।