जिनमें कोई मीट बनाते व कोई तंदूर पर रोटी बनाते मिल जायेंगे। शहर में ठंडी सड़क पर दर्जनों वाहनों की रिपेयरिंग करने के लिए गैरिज खुले हुए है। हर गैरिज में दो चार बच्चे काम करते है। बस स्टॉप के आस पास कलेक्ट्रेट के पास विकास भवन के बच्चे चाय की दुकानों पर काम करते है। पूर्व बाल श्रम अधिकारी एमएस सिद्दकी का कहना है कि सरकार ने पहले से बच्चों की हिफाजत के लिए कानून और कठोर कर दिए है जिसमें 25 हजार जुर्माने की जगह 50 हजार कर दिया है।
हर जिले में तीन जांच समिति भी बना दी है जिनके अधिकारी सिटी मजिस्ट्रेट व एसडीएम को बनाया गया है। लेकिन पिछले दो सालों से कोई कार्यवाही नहीं की गई है। यह अधिकारी हर तीन महीने में जो होटल ढाबा दुकान गोदाम आदि पर काम कराते हैं उनके खिलाफ कार्यवाही करें परन्तु नहीं की गई है। बच्चों से मजदूरी कराने का सबसे बड़ा अड्डा कायमगंज क्षेत्र में है जहां पर तम्बाकू को सैकड़ों गोदाम है जिनके अंदर तम्बाकू की कुटाई होती है हर गोदाम में चार पांच बच्चे तम्बाकू की कुटाई करते मिल जाते है। जब मैं छापा मारने जाता था तो गोदाम मालिक मैन गेट बंद कर दूसरे रास्ते से बच्चों को बाहर निकाल देते थे।जिले में सही जांच की जाए ढाई हजार से अधिक बच्चे इसी प्रकार काम करते पकड़े जा सकते है।
श्रम विभाग की लापरवाही से बच्चे करते मजदूरी जिले में श्रम विभाग कभी भी चेकिंग अभियान नहीं चलाता है जिससे बच्चे मजदूरी करते पकड़े जाए दूसरी तरफ उनके भविष्य को अच्छा बनाने के लिए कानून के तहत स्कूल में भर्ती कराया जा सके। जिले में बहुत से गरीब परिवार है उन घरों के बच्चे व लडकिया लोगो के घरों होटलों पर काम करते है क्योंकि वह गरीब परिवार यह सोचता है कि हमारा बच्चा काम करेगा तो शाम को 50 रुपये कमाके लायेगा जिससे घर चलाने में मदद मिलेगी लेकिन उसे नही मालूम कि वह अपने बच्चे का भविष्य खराब कर रहे है। जो लड़किया नाबालिग लडकिया घरों में काम करती है वह भी बहुत ही गरीब घर की होती है जिनके घर मे खाने व पहनने के लिए कपड़े तक नहीं मिल पाते है वह धनवान आदमी के घरों का काम खाना व कपड़ों के मिलने के लिए करती है।