तहसील सदर के माडल शंकरपुर गांव में सरकार के कहने पर वर्ष 1993 में 19 महिलाओं ने नसबंदी कराई थी। इसके एवज में सरकार ने अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग की महिलाओं को पांच बीघा के हिसाब से भूमि आवंटित की थी। इसमें सभी किसानों को इंतखाब, किसान बही भी मिल चुकी है। इसी खेती के सहारे गरीब परिवारों का पालन पोषण हो रहा है। जिला प्रशासन की ओर से अचानक नोटिस जारी करते हुए भूमि खाली कराने का हुक्म दिया। पीडि़त किसानों ने बताया कि राजस्व कर्मियों ने उनकी जमीन को अब तालाब बताया है। किसान यूनियन के नेता प्रभाकांत मिश्रा, रामसेवक सक्सेना समेत दर्जनों किसान नेता और पीडि़त परिवार के लोगों ने दोपहर में कलेक्ट्रेट में राजस्व कर्मियों के रवैए पर नारेबाजी की। किसानों ने लेखपाल से भी फोन पर बात करते हुए नाराजगी जताई। किसान नेताओं ने कहा कि किसानों का उत्पीडऩ करने वालों को किसी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा। किसान नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि किसानों के परिवार को सोची समझी साजिश के तहत उत्पीडि़त करने का
काम किया जा रहा है।
बड़े स्तर पर होगा संघर्ष इस दौरान किसान नेताओं ने पीडि़तों के साथ सिटी मजिस्ट्रेट से भी भेंट की और आंदोलन के इरादे के बारे में बताया। किसानों ने कहा कि थाने में जो मुकदमा पीडि़तों पर दर्ज कराया गया है, उसे तुरंत वापस लिया जाए। वरना इस मुद्दे पर बड़े स्तर पर संघर्ष किया जाएगा। यहां पर सरकारी विभाग यदि सही रिपोर्ट शासन को भेजता तो यह नौबत नही आती, फिर जिन गरीब महिलाओं को अपने परिवार के भरण पोषण के लिए यह जमीन दी गई थी फिर वह तालाब कैसे बन गई सबसे बड़ी बात यह है कि उन्ही के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया गया। इस मामले को जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक इस प्रकार की कार्रवाई का विरोध किया जाएगा। किसान नेताओं ने मांग की कि जिस लेखपाल की रिपोर्ट पर किसानों के ऊपर मुकदमा दर्ज किया गया, उस लेखपाल की सेवाएं बंद कर देनी चाहिए, नहीं तो वह जिस क्षेत्र में रहेगा इसी प्रकार से गलत रिपोर्ट लगाता रहेगा।