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10 साल बाद मां को जिंदा देख रो पड़े बच्चे

locationफर्रुखाबादPublished: Oct 22, 2020 05:06:29 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

घर पहुंचाने में मददगार हुई खाकी और बोली.

farrukhabad news

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फर्रुखाबाद. 2010 में जहर खुरानी का शिकार हुई अपनी मां को 10 साल बाद जिंदा देख उसके बच्चे रो पड़े। महिला 10 वर्ष पूर्व कुशीनगर से कानपुर लाई गई थी, उसके बाद फर्रुखाबाद में उसे बेच दिया गया। जिसके साथ वह रह रही थी, उससे उसको एक पुत्र भी हुआ। इतना सब कुछ होने के बावजूद बोली के कारण वह ठीक से किसी से अपनी व्यथा न बता सकी। दस साल बाद फर्रुखाबाद में तैनात सिपाही उसके लिए एक फरिश्ते की तरह आया, जिसने उसकी बोली में उसका दर्द सुना व समझा और अंत में उसे कुशीनगर में उसके बच्चों व पति से मिला दिया। परिवार सिपाही को दुआएं देते नहीं थक रहा। इस भले कार्य की हर ओर सराहना हो रही है।
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यह है मामला-

मामला कुशीनगर थाना रामकोला के गांव अहटौली का है जहां निवासी फूलेन कुशवाहा की पत्नी राजमती देवी साल 2010 में डग्गामार वाहन से बाजार सामान लेने गई हुई थीं। रास्ते में किसी ने उसे नशीला पदार्थ सुंघाकर उसके जेवर लूट लिए और किसी अंजान जगह उसे फेंक दिया। होश आने पर पता चला कि वह अपने निवास स्थान से काफी दूर आ गई है। वहां कुछ लोग घर पहुंचाने के नाम पर राजमाती को कानपुर ले गए। इसके बाद दस हजार रुपए लेकर उन लोगों ने महिला को फर्रुखाबाद के थाना नवाबगंज क्षेत्र के एक ग्रामीण को बेच दिया। ग्रामीण की पत्नी की मौत हो चुकी थी, इसलिए उसने महिला को घर में पत्नी की तरह रखा और एक बेटे को जन्म भी दिया।
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फिर पहुंचे महिला के गांव के ही पुलिस सिपाही-
14 अक्तूबर को बाइक लूट के मामले में सर्विलांस की रेंज में आए मोबाइल नंबरों की छानबीन करने के लिए एसओजी के सिपाही सुनील दुबे व सचेंद्र सिंह नवाबगंज थाना क्षेत्र में गांव पहुंचे। इसके इत्तेफाक कहिए या भगवान की मर्जी कि मोबाइल नंबर इस्तेमाल करने वाली महिला से संपर्क किया तो पता चला कि महिला राजमती कुशीनगर की रहने वाली है और सुनील दुबे भी उसके पड़ोसी जिले गोरखपुर के रहने वाले हैं। कई वर्ष तक वे कुशीनगर में तैनात थे। इस कारण सुनील ने राजवती से भोजपुरी में बातचीत की। राजमती भोजपुरी ही बोल पाती थी और जब सिपाही ने भी इस भाषा में बात की, तो उसने दस सालों से दिल के अंदर समेटा हुआ पूरा दर्द रोते-रोते बयां कर दिया। भोजपुरी भाषा पूर्वी यूपी, पश्चिम बिहार व उत्तरी झारखण्ड में बोली जाती है।
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महिला को मिलाया बिछड़े परिवार से-
सिपाही सुनील ने उसके दर्द को समझा। सुनील ने कुशीनगर में अपने प्रयास से महिला के परिजनों से संपर्क किया व उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी। परिजनों को जब राजमती के जीवित मिलने की खबर मिली तो वे खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। उन्होंने बताया कि राजमती के गायब होने की सूचना पुलिस को दी गई थी। न मिलने पर परिवार ने मृत समझकर राजमती का तेरहवीं आदि संस्कार भी कर दिया था। राजमती का पति फूलेन कुशवाहा अपने तीन बच्चों के साथ फतेहगढ़ स्थित एसओजी कार्यालय पहुंचे। महिला को भी वहां बुलागा गया। पति व बच्चों ने जब राजमती को देखा तो सभी भावुक हो गए व रोने लगे। इसके बाद महिला को वे अपने साथ ले गए। वहीं नवाबगंज में जन्मे बेटे को उसके पिता के सुपुर्द कर दिया गया। इस पर एसओजी प्रभारी जेपी शर्मा ने कहा कि उनकी टीम के सिपाही सुनील ने 10 साल बाद महिला को उसके बिछड़े परिवार से मिलाकर सराहनीय काम किया है।
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