दरअसल, पौराणिक धार्मिक मान्यताओं पर वट सावित्री पूजन का काफी महत्व माना जा रहा है.उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सुहागिन महिलाओं ने सुबह सज धज कर वट वृक्ष के चारों ओर सात फेरे लिए। साथ ही रक्षा सूत्र बांध कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की। बरगद पेड़ के नीचे धूप, दीप व फल आदि चढ़ाकर पूजा अर्चना की गई। वहीं सावित्री सत्यवान की पौराणिक कथा सुनकर सुहागिनें अपने सुहाग की सलामती के लिये भगवान से प्रार्थना करती है। इतना ही नहीं सुहागन ने इस पर्व के मौके पर उपवास भी रखा।
पूजा के बाद महिलाओं ने अपने पति से आशीर्वाद लिया। पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि दांपत्य जीवन में किसी प्रकार की परेशानी नहीं आती है तथा पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। इसी मान्यता के अनुसार सौभाग्यवती स्त्रियां भक्ति भाव से यह पर्व अवश्य करती है। यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए करवा चैथ जैसा महत्व रखता है, इसलिए सुखी वैवाहिक जीवन तथा पुत्र प्राप्ति के लिये भी यह पूजा हर साल की जाती है।