ठेठ देहाती विमला देवी अपने बीमार पति की सेहत के लिए तीन सौ किलोमीटर दूर गोला गोकर्ण नाथ में पिछले पांच सालों से पैदल कांवर चढ़ाने जाती हैं। विमला को विश्वास है कि, भगवान भोले नाथ उसके पति को जरूर चंगा कर देंगे।
फर्रुखाबाद। सती सावित्री की कथा तो सभी ने सुनी होगी। जिसमें सावित्री ने यमराज के हाथों से अपने पति सत्यवान को मुक्ति दिलाई थी। लेकिन फर्रुखाबाद के गांव महमदपुर चौकी की रहने वाली विमला देवी भी कलियुग की सावित्री से कम नहीं कहीं जा सकती।
ठेठ देहाती विमला देवी अपने बीमार पति की सेहत के लिए तीन सौ किलोमीटर दूर गोला गोकर्ण नाथ में पिछले पांच सालों से पैदल कांवर चढ़ाने जाती हैं। विमला को विश्वास है कि, भगवान भोले नाथ उसके पति को जरूर चंगा कर देंगे। आइये जानते हैं विमला देवी की कहानी।
राजेपुर इलाके में गांव ममदपुर चौकी के रहने वाले इतवारी की पत्नी हैं विमला देवी। विमला देवी अपने पति और बेटे सुनील के साथ मेहनत मजदूरी करके आराम से जिंदगी बसर कर रहीं थीं। इसी बीच उनकी जिंदगी में दुखों का पहाड़ टूट गया। विमला देवी का 25 साल के बेटा सड़क हादसे में स्वर्ग सिधार गया। पति को डायबिटीज जैसी कई बीमारियों ने घेर लिया। बेटा गया और बीमारी के चलते पति भी मेहनत मजदूरी करने से लाचार हो गया। ऐसे में विमला ने भगवन भोले नाथ को याद किया और उनसे ही शक्ति प्राप्त की। विमला गांव में मेहनत मजदूरी कर गुजर बसर करने लगी। पति को बीमारियों से मुक्ति दिलाने के लिए गोला गोकर्ण नाथ वाले शिव बाबा के दरबार में कांवर बोली। विमला पिछले पांच साल से गोला वाले भोला के दरबार में पैदल कांवर लेकर गंगा जल चढ़ाने जाती हैं और अपने पति को बीमारियों से निजात के लिए प्रार्थना करती है। विमला को उम्मीद है कि, भोले नाथ जरूर ही उसके पति की बीमारियां ख़त्म कर देंगे।