भाई दूज कलः भाई की लंबी उम्र की कामना करेंगी बहनें
हिन्दू पंचाग के अनुसार मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज अथवा यम द्वितीया के रूप में मनाते हैं
धनत्रयोदशी से शुरू होने पांच दिनों का दीवाली पर्व शुक्रवार को भाई दूज के साथ समाप्त हो जाएगा। हिन्दू पंचाग के अनुसार मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज अथवा यम द्वितीया के रूप में मनाते हैं। भाई दूज का पर्व भाई और बहन के मध्य स्थापित प्रगाढ़ संबंधों को दर्शाता है।
पौराणिक मान्यताएं हैं कि यम पुरी के स्वामी यमराज एक बार अपनी बहन यमुना से मिलने पहुंचे। जहां यमुना ने उनका आदर सत्कार किया। बहन यमुना के प्रेम और आदर से प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर यमुना ने कहा कि आज के दिन जो भी भाई बहन यमुना में स्नान करके तिलक लगाकर इस पर्व को मनाएंगे उन्हें मृत्यु पश्चात यमलोक नहीं जाना पड़े। इस पर यमराज ने तुरंत ही तथास्तु कहते हुए उन्हें वरदान दे दिया। इसी दिन को भाई दूज के नाम से मनाया जाता है। इस कथा के आधार पर ही पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाईयों को घर पर बुलाकर भोजन कराती हैं। बहन भाई को तिलक कर उसकी विजय कामना करती है। भाई बहनों की रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें सामथ्र्य अनुसार उपहार भी देते हैं। कायस्थ समाज द्वारा कलम और दवात का पूजन भी किया जाता है। बहन का निश्चल प्रेम भाई को परेशानियों से लडऩे की ताकत देता है।
उज्जवल भविष्य की कामना
बहनें अपने भाई के ललाट पर रोली एवं अक्षत से तिलक करके उसके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। इसके पश्चात् बहनें भाई के हाथों में पानी छोड़ते हुए “गंगा जमुना को यमी पूजे यमराज को सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े” यह मंत्र बोलते हुए बहने अपने भाई को आर्शिवचन देती हैं। सच्चे मन से की गई बहन की इस प्रार्थना को यमराज स्वीकार भी करते है।
भाई दूज मनाने के लिए ये हैं शुभ मुहूर्त
इस बार दूज 13 नवम्बर 2015 को रात 00.45 बजे शुरु होगी तथा 14 नवम्बर 2015 को 01.47 तक रहेगी। वैसे तो पूरा दिन ही शुभ है परन्तु भाईयों को तिलक करने का सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 1.29 बजे से 3.43 बजे तक रहेगा। इसके अलावा 11.25 बजे से दोपहर 12.08 तक अभिजीत काल रहेगा। यह भी शुभ कार्यों के लिए प्रशस्त माना गया है। सुबह 10.25 बजे से 11.46 बजे तक राहुकाल रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस समय में तिलक करने से बचें।
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