scriptगायत्री जयंती 12 जून : सरल वैदिक पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त | gayatri jayanti puja vidhi 12 june 2019 | Patrika News
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गायत्री जयंती 12 जून : सरल वैदिक पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त

गायत्री जयंती पर इस विधि से मां गायत्री की पूजा और मंत्र जप, होगी हर मनोकामना पूरी

भोपालJun 11, 2019 / 05:52 pm

Shyam

gayatri jayanti 2019

गायत्री जयंती 12 जून : सरल वैदिक पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त

12 जून को मां गायत्री की जयंती पर इस वैदिक विधि विधान से आवाहन् कर पूजा आराधना करना बहुत ही लाभदायी होता है। वेदों में उल्लेख आता है कि मां गायत्री की पूजा उपासना कभी भी, किसी भी स्थिति में की जा सकती है। गायत्री जयंती के दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होकर गायत्री मंदिर या घर के पूजा स्थल में पीले कुशा के आसन पर सुखासन में बैठकर करने से गायत्री मंत्र का जप करनो से शुभ फल की प्राप्ति होती है। जानें पूजा विधि व शुभ मुहूर्त।


1- पवित्रीकरण- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए थोड़ा सा जल पवित्रता के भाव से अपने ऊपर छिड़क लें।
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा, सर्वावस्थांगतोऽपि वा।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु।

 

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2- आचमन- इन मंत्रों से मन, वाणी व अंतःकरण की शुद्धि के लिए तीन बार जल का आचमन करें
ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा।
ॐ अमृतापिधानमसि स्वाहा।
ॐ सत्यं यशः श्रीर्मयि श्रीः श्रयतां स्वाहा।

 

3- शिखा वंदन- इस मंत्र के साथ शिखा के स्थान को स्पर्श करते हुए मां गायत्री से सद्विचार की कामना करें।
ॐ चिद्रूपिणि महामाये, दिव्यतेजः समन्विते।
तिष्ठ देवि शिखामध्ये, तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे॥

 

gayatri jayanti 2019

4- प्राणायाम- इस मंत्र के साथ श्वास खींचते हुए भाव करें कि मां गायत्री हमारे दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियां, बुरे विचारों कोबाहर निकाल रही है।
ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः, ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम्। ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। ॐ आपोज्योतीरसोऽमृतं, ब्रह्म भूर्भुवः स्वः ॐ।

 

5- न्यास- इस मंत्र के साथ बताएं अंगों को जल का लगाते हुए भाव करें कि मां गायत्री शरीर के रोम-रोम को पवित्र कर रही है।
ॐ वाङ् मे आस्येऽस्तु । (मुख को)
ॐ नसोर्मे प्राणोऽस्तु । (नासिका के दोनों छिद्रों को)
ॐ अक्ष्णोर्मे चक्षुरस्तु । (दोनों नेत्रों को)
ॐ कर्णयोर्मे श्रोत्रमस्तु । (दोनों कानों को)
ॐ बाह्वोर्मे बलमस्तु । (दोनों भुजाओं को)
ॐ ऊर्वोमे ओजोऽस्तु । (दोनों जंघाओं को)
ॐ अरिष्टानि मेऽङ्गानि, तनूस्तन्वा मे सह सन्तु । (समस्त शरीर पर)

 

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6- मां गायत्री आवाहन्- उपरोक्त क्रम के बाद पूजा स्थल पर एक जल भरा कलश व घी का दीपक जलाकर इस मंत्र से मां गायत्री का आवाहन् करें कि प्रकाश रूप में मां गायत्री पूजा स्थल पर स्थापित हो रही है।

ॐ आयातु वरदे देवि त्र्यक्षरे ब्रह्मवादिनि।
गायत्रिच्छन्दसां मातः! ब्रह्मयोने नमोऽस्तु ते॥
ॐ श्री गायत्र्यै नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि,
ततो नमस्कारं करोमि।

 

7- गुरु आवाहन्- गायत्री मंत्र को गुरु मंत्र भी कहा जाता है इसलिए बिना गुरु के साधना का फल देरी से मिलने संभावना रहती है। आप जिसे भी गुरु मानते हैं उन्हें भी इस मंत्र के साथ पूजा स्थल पर आवाहन् करें।

ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुरुरेव महेश्वरः।
गुरुरेव परब्रह्म, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
अखण्डमंडलाकारं, व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन, तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
ॐ श्रीगुरवे नमः, आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।

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8- पंचोपचार पूजन- आवाहन के बाद मां गायत्री का पंचोपचार पूजन- (जल, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप तथा नैवेद्य) आदि पांच पदार्थ प्रतीक के रूप में माता को अर्पित करें।

 

9- मंत्र जप- पूजन के बाद ऐसे करें मंत्र जप- गायत्री मंत्र का जप न्यूनतम तीन माला या घड़ी से प्रायः 24 मिनट मन ही मन जप करें। जप करते वक्त अपने भीतर के कषाय-कल्मषों-कुसंस्कारों से मुक्ति और जो भी भौतिक सुख सुविधाओं की कामना हो उसका भाव भी कर सकते हैं।

गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

 

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10- सूर्यार्घ्यदान- विसर्जन- जप समाप्ति के बाद पूजा वेदी पर रखें कलश का जल सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के भाव से पूर्व दिशा में सूर्य भगवान को र्अघ्य रूप में निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए चढ़ायें।

ॐ सूर्यदेव! सहस्रांशो, तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर॥
ॐ सूर्याय नमः, आदित्याय नमः, भास्कराय नमः॥

इतना सब करने के बाद दान स्वरूप अपनी कमाई का एक अंश धन दान अवश्य करें। ऐसा करने से निश्चित ही मां गायत्री आपकी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगी।
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