scriptKartik Purnima 2021: आज कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त, खास योग और जानें क्या करें इस दिन? | kartik purnima 2021 shubh muhurt importance pujan vidhi and katha | Patrika News

Kartik Purnima 2021: आज कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त, खास योग और जानें क्या करें इस दिन?

locationभोपालPublished: Nov 19, 2021 12:08:38 pm

– कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर को जानें इसका महत्व व क्या करें इस दिन?
– कार्तिकी पूर्णिमा के दिन लिया था भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार, इसी दिन मनाई जाती है देव दीपावली और इसी दिन हुआ था गुरु नानक देव जी का जन्म

Kartik Purnima known as DevDeepawali

Kartik Purnima known as DevDeepawali

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिकी पूर्णिमा कही जाती है। इस दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इसलिए इस दिन को ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहते हैं।

ऐसे में इस साल यानि 2021 में कार्तिक पूर्णिमा शुक्रवार, 19 नवंबर को पड़ रही है। हिन्दुओं में इस पर्व को बेहद खास माना जाता है। वहीं इस बार इस दिन आंशिक चंद्र ग्रहण रहेगा, साथ ही सर्वार्थसिद्ध महायोग भी है। जो मुख्य रूप से पूर्वोत्तर भारत में प्रभाव देगा, लेकिन ये ग्रहण उपछाया होने के कारण इसका कोई सूतक नहीं मान्य होगा, जिसके चलते इस दिन पूजा पाठ की जा सकेगी।

कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि शुरु: गुरुवार, 18 नवंबर को 11:55 PM से
पूर्णिमा तिथि का समापन: शुक्रवार, 19 नवंबर को 02:29 PM तक।

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मान्यता के अनुसार इस दिन कृतिका नक्षत्र हो तो यह ‘महाकार्तिकी’ होती है, भरणी नक्षत्र होने पर यह विशेष फल प्रदान करती है और वहीं रोहणी नक्षत्र होने पर इसका महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
इस दिन संध्या समय भगवान का मत्स्यावतार हुआ थ। इस दिन गगा स्नान के बाद दीप-दान आदि का फल दस यज्ञों के समान होता है। इस दिन गंगा स्नान,दीपदान,अन्य दानों आदि का विशेष महत्व है। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य से इसे ‘महापुनीज पर्व’ कहा है। इसलिए इसमें गंगा स्नान,दीपदान, होम, यज्ञ और उपासना आदि का विशेष महत्व है।
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इस दिन कृतिका पर चंद्रमा और विशाखा पर सूर्य हो तो ‘पद्मक योग’होता है, जो पुष्कर में भी दुर्लभ है। इस दिन कृतिका पर चंद्रमा व बृहस्पति हो तो यह ‘महापूर्णिमा’ कहलाती है।
माना जाता है कि इस दिन संध्याकाल में त्रिपुरोत्सव करके दीपदान करने से पुनर्जन्मादि कष्ट नहीं होता। इस तिथि में कृतिका में विश्व स्वामी का दर्शन करने से ब्राह्मण सात जन्म तक वेदपाठी और धनवान होता है।
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Chandra Grahan
IMAGE CREDIT: Lunar eclipse

इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का अवश्य पूजन करना चाहिए। मान्यता के अनुसार कृतिकी पूर्णिमा की रात्रि में व्रत करके वृषभ (बैल) दान करने से शिव पद प्राप्त होता है। गाय, हाथी,घोड़ा, रथ,घी आदि का दान करने से संपत्ति बढ़ती है।

जबकि इस दिन उपवास के संबंध में मान्यता है कि इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण, चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है और सूर्य लोक की प्राप्ति होती है। इस दिन मेष (भेड़) दान करने से ग्रहयोग के कष्टों का नाश होता है। इस दिन कन्यादान करने से ‘संतान व्रत’ पूर्ण होता है।

मान्यता के अनुसार कार्तिका पूर्णिमा से प्रारंभ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। इस दिन कार्तिक के व्रत धारण करने वालों को ब्राह्मण भोजन, हवन और दीपक जलाने का भी विधान है। इस दिन यमुनशजी पर कार्तिक स्नान की समाप्ति करके राधा-कृष्ण का पूजन दीपदान, शय्यादि का दान और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है। कार्तिक की पूर्णिमा वर्ष की पवित्र पूर्णमासियों में से एक मानी गई है।

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इस दिन में शालिग्राम के साथ तुलसी पूजा, सेवन और सेवा का भी विशेष महत्व माना गया है। इस दिन तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ-हवन आदि भी विशेष माने गए हैं। इस दिन तुलसी के सामने दीपक जरूर जलाना चाहिए और इस मंत्र ‘ देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः। नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये’ को पढ़ना चाहिए।

कथा:
एक बार त्रिपुर राक्षस ने एक लाख वर्ष तक प्रयागराज में घोर तप किया। इस तप के प्रभाव से समस्त जड़—चेतन, जीव और देवता भयभीत हो गए। देवताओं ने तप भंग करने के लिए अप्सराएं भेजीं, पर उन्हें सफलता न मिल सकी। आखिर ब्रह्माजी स्वयं उसके सामने प्रस्तुत हुए और वर मांगने को कहा।

इस पर त्रिपुर ने वर मांगा-‘ न देवताओं के हाथों मरूं, न मनुष्य के हाथों।’ दस वरदान के बल पर त्रिपुर निडर होकर अत्याचार करने लगा। इतना ही नहीं उसने कैलाश पर्वत पर भी चढ़ाई कर दी। जिसके परिणामस्वरूप महादेव और त्रिपुर में घमासान युद्ध छिड़ गया। अंत में शिवजी ने ब्रह्मा व विष्णु की सहायता से उसका संहार कर दिया।

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इस दिन क्षीरसागर दान का अनंत माहात्म्य है, क्षीरसागर का दान 24 अंगुल के बर्तन में दूध भरकर उसमें स्वर्ण या रजत की मछली छोड़कर किया जाता है। यह उत्सव दीपावली की तरह दीप जलाकर सायंकाल में मनाया जाता है।

गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) :
कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन ही सिख धर्म के पहले गुरु यानि गुरु नानकदेव का जन्म हुआ था। ऐसे में सिख धर्म के अनुयायी भी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पर्व (Guru Parv 2021), प्रकाश पर्व या प्रकाश उत्सव के रूप में भी मनाते हैं। इस अवसर पर गुरुद्वारों में अरदास की जाती है और बहुत बड़े स्तर पर जगह-जगह पर लंगर किया जाता है।

देव दिवाली की कथा
इसके अलावा हिंदू मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता दीपावली मनाते है। जिसके तहत वे इस दिन यानि देव दीपावली पर धरती पर उतर आते हैं। माना जाता है कि इस दिन काशी के घाटों पर देवता दीपावली मनाते हैं। और समस्त देवता एक साथ मिलकर देवाधिदेव भगवान शिव की महाआरती करते हैं।

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