scriptमकर संक्रान्ति और पतंगों से जुड़ी ये बातें जानने के बाद दंग रह जाएंगे आप | Makar Sankranti 2018 -Facts and myths related to kite festival in indi | Patrika News
त्योहार

मकर संक्रान्ति और पतंगों से जुड़ी ये बातें जानने के बाद दंग रह जाएंगे आप

अगर पतंग उड़ाकर छोड़ दी जाये तो पतंग छोडऩे वाले का दुर्भाग्य आसमान में गुम हो जायेगा और यदि कोई कटी हुयी पतंग उनके घर में प्रवेश करती है

Jan 14, 2018 / 11:51 am

सुनील शर्मा

makar sankranti 2018 special stories

makar sankranti 2018

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और चूड़ा-दही खाने के बाद पतंग उड़ाने की दशकों पुरानी परंपरा से जुड़े लोग आज 14 जनवरी को धमाल मचाने में लगे हुए हैं। इस दिन लोग खिचड़ी चूड़ा-दही खाने के बाद मकानों की छतों तथा खुले मैदानों की ओर दौड़े चले जाते हैं और पतंग उड़ाकर आनंदित होते हैं। इस पतंग प्रतियोगितायें भी आयोजित की जाती है जिसमें पतंग उड़ाने के शौकीन बढ़-चढक़र हिस्सा लेते हैं। लोगों ने तरह-तरह की पतंगों के साथ अपने डोर और मांझे का स्टॉक जमा कर चुके हैं। जगह-जगह वो मारा-वो काटा जैसी जोर-जोर आवाजें कल सुनने को मिलेंगी।
पतंग उड़ाने वालों के साथ-साथ भारत, चीन, इंडोनेशिया, थाइलैंड, अफगानिस्तान, मलेशिया जापान और अन्य एशियाई देशों तथा कनाडा, अमेरिका, फ्रांस, स्विटजरलैंड, हालैंड, इंगलैंड आदि देशों में भी पतंग उड़ाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। प्राय: यह माना जाता है कि पतंग का आविष्कार ईसा पूर्व चीन में हुआ था। जापान में पतंगे उड़ाना और पतंगोत्सव एक सांस्कृतिक परंपरा है। यहां पतंग तांग शासन के दौरान बौद्ध भिक्षुओं के माध्यम से पहुंची। भारत में पतंग परंपरा की शुरुआत शाह आलम के समय 18 वीं सदी में की गयी लेकिन भारतीय साहित्य में पतंगों की चर्चा 13 वीं सदी से ही की गयी है। मराठी संत नामदेव ने अपनी रचनाओं में पतंग का जिक्र किया है।
प्राचीन काल में जापान के लोगों में विश्वास था कि पतंगों की डोर वह जरिया है जो पृथ्वी को स्वर्ग से मिलाती है। चीन के लोगों में विश्वास है कि अगर पतंग उड़ाकर छोड़ दी जाये तो पतंग छोडऩे वाले का दुर्भाग्य आसमान में गुम हो जायेगा और यदि कोई कटी हुयी पतंग उनके घर में प्रवेश करती है तो यह उनके लिए शुभ होगा। जापान का थिरोन ओजोको म्यूजियम विश्व का सबसे बड़ा पतंग संग्रहालय है। यहां पतंगों की अनेक विलक्षण आकृतियां हैं। कहीं अबाबेल पक्षियों की हूबहू वाली आकृति है तो कहीं पवन चक्की का भ्रम पैदा करने वाले नमूने। ज्यादातर स्थानीय पतंगों पर आकर्षक रंग के मुखौटे बने होते हैं।
संग्रहालय की एक रोचक बात यह है कि यहां आप पतंगे बनाना सीख सकते हैं। यदि कोई दिक्कत हो तो यहां मौजूद प्रशिक्षकों की मदद ली जा सकती है, जापान के थिरोन में हर वर्ष जून में पतंगोत्सव का आयोजन किया जाता है। नाकानोगूजी नदी के दोनों किनारों पर इस खेल का आयोजन किया जाता है। चीन के वेइफांग में 13000 वर्ग फुट क्षेत्र में बना पतंग संग्रहालय स्थापित है। इस संग्रहालय को देखकर ऐसा लगता है कि मानो कोई दैत्य आसमान में उड़ रहा है। संग्रहालय में पतंगों के अलावा तितलियों, चिड़यिों और कीटों की आकृतियां हैं।
वर्ष 1984 में यहीं पर पहला अंतरराष्ट्रीय पतंगोत्सव हुआ था। इसलिए इसे पतंगों की राजधानी भी कहा जाता है। कलात्मक पतंगों का संग्रह करने के मामले में भारत भी पीछे नहीं है। अहमदाबाद के संग्रहालय में देश-विदेश की कई बहुमूल्य पतंगे संग्रहीत हैं। इनमें ज्यामितीय आकृति का सहारा लेकर करतब दिखाते पशु-पक्षियों की आकृति वाले चित्र-पतंगों पर बेलबूटे का संयोजन किया हुआ है। संग्रहालय को देखकर प्रसिद्ध फिल्मकार श्याम बेनेगल ने कहा था कि यह सौन्दर्य का अछ्वूत नमूना है।
अमेरिकी चित्रकार बोरिस ने कहा था कि यह संग्रहालय मानो आकाश में उड़ता हुआ प्रतीत होता है। फ्रांस में पंतगों की लोकप्रियता को देखते हुये वहां एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन होता है। काईट पैन नामक इस पत्रिका को श्रेष्ठ प्रकाशन के लिये काइट बेटफोर्ड पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इस पत्रिका में दुनिया भर के पतंग बाजार,उन्हें उड़ाने और बनाने के तरीकों और पतंगों के अंतरराष्ट्रीय उत्सव आदि की कई रोचक जानकारियां दी जाती हैं।

Home / Astrology and Spirituality / Festivals / मकर संक्रान्ति और पतंगों से जुड़ी ये बातें जानने के बाद दंग रह जाएंगे आप

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो