पीतल की बड़ी बड़ी पिचकारियों से एक ओर श्यामसुन्दर एवं उनके सखा गुनगुना टेसू का रंग हुरिहारों पर डाल रहे थे तो दूसरी ओर हजारों हुरिहार मस्ती में रसिया गायन ‘‘आज बिरज में होरी रे रसिया‘’ या ‘‘होरी खेलन आयो श्याम आज याहि रंग में बोरो री‘’ कर रहे थे या फिर ब्रज की परंपरा के अनुकूल थिरक रहे थे। श्यामसुन्दर की पिचकारी से अपने ऊपर पड़ रहे रंग से भाव विभोर थे। उनके चेहरे से ऐसी अनुभूति झलक रही थी जैसे उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा खजाना मिल गया हो। लगभग एक घंटे से अधिक देर तक चली इस होली का समापन‘‘नन्द के लाला की जय‘’एवं‘‘राधारानी की जय‘’से जब हुआ तो टेसू के रंग से सराबोर हुरिहारों में उस रज को अपने मस्तक पर लगाने की होड़ मच गई।
श्यामाश्याम ने ब्रजवासियों पर पिचकारियों से रंग की वर्षा की थी। इसी श्रंखला में जहां मंदिरों में रंग चलने लगा है वहीं ब्रज के विभिन्न स्थानों में खेली जानेवाली होली के कार्यक्रम की घोषणा कर दी गई है।
मंदिर द्वारकाधीश के जनसंपर्क अधिकारी राकेश तिवारी के अनुसार जहां भारत विख्यात
द्वारकाधीश मंदिर में रंग की होली 23 फरवरी से शुरू होगी। उन्होने बताया कि बरसाने की लठामार होली 24 फरवरी को खेली जाएगी तथा नन्दगांव की लठामार होली 25 फरवरी को खेली जाएगी। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के जनसंपर्क अधिकारी के अनुसार 26 फरवरी को रंगभरनी एकादशी को श्रीकृष्ण जन्मस्थान की रंगारंग अनूठी होली होगी। इस होली में ब्रज की विभिन्न होलियों को एक ही स्थान पर देखने का मौका मिलता है। ब्रजवासी इस होली का बड़ी व्यग्रता से इंतजार करते रहते हैं।
रंगभरनी एकादशी से ही
वृन्दावन की रंग की होली शुरू होगी। ठाकुर राधाबल्लभ महराज
वृन्दावन की गलियों में घूम घूमकर ब्रजवासियों से होली खेलेंगे। बिहारी, राधारमण जी महराज मंदिर में ही भक्तों के संग होली खेलेंगे। 27 फरवरी को गोकुल की छड़ीमार होली होगी। उन्होने बताया कि होली के कार्यक्रमों की श्रंखला में एक मार्च की रात फालेन, जटवारी एवं जाव गांव में जलती हुई होली से अलग अलग समय पर वहां के पंडे निकलेंगे। कोसीकलां होकर ही जटवारी, फालैन एवं जाव जाया जा सकता है।
होली के बाद ब्रज के प्रसिद्ध हुरंगों का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा जो एक प्रकार से लठामार होली का ही अंश है। इसमें तीन मार्च को दोपहर में दाऊजी मंदिर का प्रसिद्ध हुरंगा होगा जो ब्रज की होली का जीवंत अंश है। इसी दिन दोपहर बाद जाव का हुरंगा तथा रात में मुखराई गांव का चरकुला होगा। सोंख के पास अहमलकलां का हुरंगा भी तीन मार्च को ही होगा। गोवर्धन होकर मुखराई और सोंख तथा अहमलकलां जाया जा सकता है। चार मार्च को जाव के पास बठैन का हुरंगा होगा। सात मार्च को महाबन का हुरंगा तथा नौ मार्च को सोंख में चरकुला नृत्य होगा। ब्रज की होली का एक प्रकार से समापन 15 मार्च को होगा तथा इस बीच छोटे छोटे कस्बों में हुरंगा होने लगा है। उन्होने बताया कि इसके बाद ब्रज में होली मिलन समारोह की शुरूवात होती है जो एक महीने तक चलता है।