वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से अनेक मनचाही कामनाएं पूरी हो जाती है। मोहिनी एकादशी के दिन विष्णु जी के अवतार मर्यादापुरुषोत्म भगवान श्रीराम की पूजा करने का विधान है। इस एकादशी का व्रत रखकर विधिवत पूजा करने से भव-बंधनों से मुक्ति भी मिलती है।
मोहिनी एकादशी व्रत के लाभ मोहिनी एकादशी के व्रती की चिंताएं और मोह माया का प्रभाव कम होता है। मोहिनी एकादशी के व्रती को ईश्वर की कृपा का अनुभव होने लगता है। मोहिनी एकादशी के व्रती के पाप प्रभाव कम होता है और मन शुद्ध होता है। मोहिनी एकादशी के व्रती हर तरह की दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहता है। मोहिनी एकादशी के व्रती को गोदान का पुण्य फल प्राप्त होता है।
मोहिनी एकादशी पूजा विधि इस दिन भगवान राम को पीले फूल, पंचामृत तथा तुलसी दल अर्पित करें, फल भी अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद भगवान राम का ध्यान करें तथा उनके मन्त्रों का जप करें। इस दिन पूर्ण रूप से जल पर उपवास रखना चाहिए। इस दिन मन को ईश्वर में लगायें, क्रोध न करें, असत्य न बोलें। इस दिन भगवान राम के सामने कुछ देर जरूर बैठना चाहिए। श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। राम जी के इस मंत्र का जप 108 बार जरूर करें- मंत्र ॐ राम रामाय नमः।।
शास्त्रों में सभी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ तिथि एकदशी तिथि को माना गया है, इस दिन किए गए जप-तप, यज्ञ, दान और सेवा का बहुत अधिक महत्त् माना जाता है। एकादशी तिथि के दिन इन कार्यों को नहीं करना चाहिए।
1- जुआ खेलना- जुआ नहीं खेलने वाले जीवन में हमेशा धन का अभाव रहता है। 2- पान खाना- ग्यारस के दिन पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है। 3- दूसरों की बुराई से बचना- एकादशी के दिन दूसरों की बुराई करने से मन में दूसरों के प्रति कटु भाव आ सकते हैं ।
5- एकादशी के दिन चोरी, हिंसका जैसे गलत कार्य नहीं करना चाहिए। 6- स्त्रीसंग- एकादशी पर स्त्रीसंग करना भी वर्जित है क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता । अतः ग्यारस के दिन स्त्रीसंग नहीं करना चाहिए।