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गंगा से पवित्र मानी जाने वाली फाल्गु नदी में श्राद्धकर्म करने से सात पीढ़ीं के पूर्वज पितरों की आत्माएं मुक्त हो जाती है

Pind Daan 2019 : Sita curse the Falgu River : फाल्गु नदी में प्रजा पिता ब्रह्मा, भगवान श्रीराम, भीष्म पितामह और पांडवों ने श्राद्ध कर्म किया था।

भोपालSep 14, 2019 / 12:34 pm

Shyam

गंगा से पवित्र मानी जाने वाली फाल्गु नदी में श्राद्धकर्म करने से सात पीढ़ीं के पूर्वज पितरों की आत्माएं मुक्त हो जाती है

गंगा से पवित्र मानी जाने वाली फाल्गु नदी में श्राद्धकर्म करने से सात पीढ़ीं के पूर्वज पितरों की आत्माएं मुक्त हो जाती है

Pind Daan 2019 : Sita curse the Falgu River : 14 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो चूका है जो 28 सितंबर 2019 तक चलेगा। पितृ पक्ष में पिण्डदान अर्थान अपने दिवंगत पितरों के निमित्त पवित्र तीर्थ स्थलों, पवित्र नदियों में पिंडदान करनें का विधान है, पवित्र नदियों में से एक है “फाल्गु नदी” कहा जाता है कि इस नदी में पिंडदान, तर्पण करने से पित्रों की आत्मा को मुक्ति और शांति प्राप्त होती है।

 

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गया में पिंडदान तर्पण का महत्व

सनातन काल से ही पूर्वज पितरों के ‘श्राद्ध कर्म’ करने की परंपरा चली आ रही है। कहा जाता है कि पितृ पक्ष में पित्रों का पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। कुछ लोग पितृ पक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध करने के लिए बिहार के गया में जाकर पिंडदान तर्पण करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, यहां पर श्राद्ध कर्म करने से पित्रों की आत्माएं तृप्त हो कर अपनी संतानों को आशीर्वाद देते हैं।

 

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पुराणों में फाल्गु नदी का उल्लेख

झारखंड के पलागु से निकलने वाली फाल्गु नदी जो बिहार के गया से होती हुई बाद गंगा नदी में जाकर मिल जाती है। इस फाल्गु नदी के महत्व के बारे में विष्णु पुराण और वायु पुराण में भी उल्लेख आता है। श्रीविष्णु पुराण के मुताबिक, गया में पिंडदान करने से पूर्वज पित्रों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। वहीं वायुपुराण में तो यहां तक उल्लेख आता है कि फल्गु नदी का स्थान गंगा नदी से भी ज्यादा अधिक पवित्र है। एक प्राचीन कथानुसार, त्रेतायुग में माता सीता ने फाल्गु नदी को नाराज होकर श्राप दिया था जिस कारण फाल्गु नदी भूमि के अंदर ही बहती रहती है और इसी कारण यहां श्राद्ध कर्म करने की परम्परा शुरू हो गई।

ऐसा माना जाता है कि फल्गु नदी में पिंडदान, तर्पण करने से सात पीढ़ीं के पूर्वज पितरों की आत्माएं जीवन-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है। इसलिए विशेषकर पितृ पक्ष सोलह दिनों में से किसी भी दिन जाकर फाल्गु नदी में अपने पितरों का श्राद्ध कर्म करना चाहिए। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि तदनुसार 14 सितंबर 2019 से पितृ पक्ष प्रारंभ होकर 28 सितंबर 2019 आश्विन अमावस्या तिथी खत्म होगा।

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