इस बार
कृष्ण जन्माष्टमी पर फिर एक बार वही संयोग बनने जा रहा है जो आज से 5000 वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण के जन्म पर बना था।
इस बार जन्माष्टमी पर अष्टमी उदया तिथि तथा मध्य रात्रि जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस बार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व अनूठा संयोग लेकर आ रहा है जब माह, तिथि, वार और चंद्रमा की स्थिति वैसी ही बनी है, जैसी कृष्ण जन्म के समय थी। इस लिहाज से ज्योतिषी इसे अत्यन्त शुभ बता रहे हैं।
5,000 वर्ष पूर्व इन्हीं संयोगों में हुआ था भगवान कृष्ण का जन्मश्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र और वृषभ के चंद्रमा की स्थिति में हुआ था। ऐसा योग आज से 58 साल पहले 1958 में भी बना था। 58 साल बाद ऐसा संयोग दोबारा आया है। ज्योतिषियों के अनुसार कृतिका नक्षत्र का काल क्रम 9 घंटे 32 मिनट का होता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी की रात्रि रोहिणी नक्षत्र के आरंभ काल के संयोग में हुआ। केवल रोहिणी नक्षत्र की स्थिति में मामूली अंतर भर आया है।
इस बार जन्माष्टमी (25 अगस्त) के दिन सूर्योदय के साथ ही अष्टमी तिथि का आगमन हो रहा है। अष्टमी तिथि 25 अगस्त की रात 8.13 बजे तक रहेगी। इससे पूरे समय अष्टमी तिथि का प्रभाव रहेगा। इसके साथ ही मध्य रात्रि भगवान के जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग रहेगा। इससे कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म के समय बनने वाले संयोगों के साथ विशेष फलदायी रहेगी।