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टैक्स दायरे में तलाकशुदा पत्नी का नियमित हर्जाना, जानिए कैसे

अगर आप शादीशुदा हैं तो टैक्स के मामले में ज्यादा झंझट नहीं होता और जिंदगी सहज तरीके से चलती है।

नई दिल्लीDec 26, 2017 / 12:07 pm

आलोक कुमार

Divorce
नई दिल्ली. अगर आप शादीशुदा हैं तो टैक्स के मामले में ज्यादा झंझट नहीं होता और जिंदगी सहज तरीके से चलती है। लेकिन अगर वित्तीय या भौतिक परिसंपत्तियां पति से पत्नी या पत्नी से पति को हस्तांतरित होती हैं तो आयकर अधिनियम के मौजूद प्रावधानों के तहत ऐसे लाभ टैक्स योग्य रकम में जोड़ दिए जाते हैं।
समस्या तब खड़ी होती है जब पति और पत्नी के बीच तलाक हो जाता है। सेबी सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर और टैक्स एक्सपर्ट जितेंद्र्र सोलंकी ने पत्रिका को बताया कि तलाकशुदा होने पर अगर पति या पत्नी हर्जाना लेता है तो इसपर आयकर देना होगा। हालांकि, इसके लिए आयकर में कोई अलग से कानून नहीं है लेकिन यह हर्जाने की रकम पर निर्भर करेगा। अगर, एकमुश्त रकम मिलने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। उसे कैपिटल रिसिट माना जाएगा। वहीं, मंथली हर्जाना लेने वह टैक्सेबल इनकम माना जाएगा।

नियमित गुजारा भत्ता देने का मामला अलग
अगर पति नियमित तौर पर गुजारा भत्ता दे रहा है तो फिर मामला अलग हो जाता है। तलाकशुदा पत्नी को अपनी आयकर श्रेणी के हिसाब से इस रकम पर टैक्स देना होता है। न्यायालयों ने स्पष्टï कर दिया है कि गुजारा-भत्ते के तौर पर मिलने वाली नियमित रकम राजस्व प्राप्ति मानी जाएगी। इसलिए इस पर टैक्स लगना चाहिए। हालांकि इस रकम पर दो बार टैक्स लगता है- पहले पति इस पर टैक्स देता है और उसके बाद पत्नी भी देती है।

इन मामलों में नहीं लगता
जमीन-जायदाद जैसी भौतिक संपत्तियों के मामले में प्रावधान कुछ अलग हैं। घर जैसी परिसंपत्तियों के हस्तांरण पर टैक्स नहीं लगता है, लेकिन स्थिति तब पेचीदा हो जाती है जब पत्नी इसे बेचने का फैसला करती है। जायदाद आदि की बिक्री पर व्यक्ति को पूंजीगत लाभ कर देना होता है और इसकी गणना के लिए खरीदारी की रकम और जायदाद रखने की अवधि अहम होती है।

पूंजीगत लाभ को लेकर स्पष्टता नहीं
जिस तरह परिसंपत्तियों पर पूंजीगत लाभ कर की गणना को लेकर स्पष्टता नहीं है, उसी तरह यह भी साफ नहीं है कि तलाक के बाद पत्नी के साथ रहे बच्चों की ट्यूशन फीस या उनके नाम पर किए गए निवेश पर पति को टैक्स में छूट मिलेगी या नहीं। इनमें नियम स्पष्ट नहीं है। कर कानूनों के तहत पति के लिए टैक्स में कटौती की कोई सुविधा नहीं होती है।

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