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आरबीआई से की है गुहार
वहीं दूसरी ओर अब डिपार्टमेंट की ओर से आईपीपीबी ने गुहार लगाई है कि उसे एक स्मॉल फाइनेंस कंपनी के रूप में बदलकर उसका रिकैपिटलाइजेशन किया जाए। ताकि वो एक लाख रुपए से अधिक के डिपोजिट स्वीकार करने के बाद लोन भी दे सके। नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि अगले साल की शुरुआत तक आईपीपीबी को आरबीआई से संतोषजनक जवाब मिल जाएगा। मतलब साफ है कि दो सालों में देश के पोस्टल डिपार्टमेंट का चेहरा और काम करने तरीका एक बार फिर से बदला जाएगा।
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बैंक के मॉडल में ही थी बड़ी खराबी
जानकारों की मानें तो पोस्टल डिपार्टमेंट को बैंक के तौर पर डेवलप करने के मॉडल में ही काफी खराबी थी। इसका कारण था टेक्नोलॉजी में भारी भरकम खर्च। इसके कोर बैंकिंग सिस्टम और टेक्नोलॉजी पर 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया गया। बैंक से जुड़े अधिकारियों की मानें तो इस सिस्टम में इस तरह की टेक्नोलॉजी जरुरत ही नहीं थी। वहीं कर्मचारियों पर आने वाली लागत भी 250 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई है। आपको बता दें कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईपीपीबी को डाकघरों में स्थित 3,250 एक्सेस प्वाइंट्स के अलावा, 650 शाखाओं के साथ लांच किया गया था।