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गांधीगीरी मिशन से लोन वसूलेगी पीएनबी, 1800 करोड़ रुपए रिकवर करने की उम्मीद

पीएनबी को अपने गांधीगिरी मिशन से करीब 1800 करोड़ रुपए वसूलने की उम्मीद में हैं। बैंक ने पिछले साल ये मिशन लाॅनच किया था।

नई दिल्लीApr 21, 2018 / 10:11 am

Ashutosh Verma

PNB

नर्इ दिल्ली। नीरव मोदी अौर मेहुल चोकसी भले ही देश के हजारों करोड़ रुपए लेकर भाग गए हैं लेकिन पंजाब नेशनल बैंक(पीएनबी)अभी भी ‘गांधीगिरी’ के वसूल पर कायम है। पीएनबी को अपने गांधीगिरी मिशन से करीब 1800 करोड़ रुपए वसूलने की उम्मीद में हैं। पीएनबी बैंक ने पिछले साल मर्इ 2017 में ये मिशन लाॅनच किया था जिसे अब एक साल पूरा होने वाला है। अब आैसतन इस मुहिम से 150 करोड़ रुपए वूसला जा चुका है।


इस वजह से शुरू हुआ गांधीगीरी मिशन

बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “यह मिशन सामाजिक दबाव बढ़ाने के लिए नेम एंड शेम की आवश्यकता से पैदा हुआ था, ताकि उनसे वापस पैसा पाया जा सके। मिशन गांधीगीरी के पास बैंक के सभी सर्किल्स में एक समर्पित रिकवरी टीम होती है।” इस अधिकारी ने आगे बताया कि इस विलफुल डिफाॅल्टर्स के मामले में पीएनबी ने बहुत सख्त कदम उठाया है जिसके तहत पिछले कुछ महीनों में 150 पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है। वहीं पिछने 9 महीने में डिफाॅल्टर्स के खिलाफ बैंक ने 37 एफआर्इआर दर्ज किया जा चुका है।


कैसे काम करती है ये रिकवरी टीम

पीएनबी की ये रिकवरी टीम के सदस्य बकायदारों के ठीकाने जाकर उनके साथ आराम से प्ले कार्ड्स खेलते हैं आैर उनसे रिकवरी संबंध में बातचीत करते हैं। इसी बातचीत के दौरान वो बकायदारों को ये बात समझाते हैं कि जो भी पैसा उनपर बकाया है वो पब्लिक का है, कृपया इस लोन का समय पर भुगतान कर दें।


डेटा एनालिटिक्स की भी मदद ले रही है पीएनबी

पीएनबी ने बैंक लोन रिकवरी के लिए एक क्रेडिट एजेंसी से डेटा एनालिटिक्स की मदद लेने के लिए करार किया है। बैंक इस डेटा एनालिटिक्स की मदद से आंकड़ों की पड़ताल करने में लगा है। इसके तहत बैंक एेसे डिफाॅल्टर्स से संपर्क करने में लगा हुआ है जिनक अन्य बैंकाें के साथ भी अच्छा क्रेडिट रिकाॅर्ड नहीं है। बैंक ने दावा किया है कि उसे इस साझेदारी से न सिर्फ लोन रिकवरी करने में मदद मिलेगी बल्कि कर्ज देने की रणनीति, कर्ज से जुड़े धोखाधड़ी आैर जोखिम को पता लगाने में भी मदद मिलेगी।


गौरतलब है लोन डिफाल्टर्स से देश के कर्इ सरकारी एवं गैर-सरकारी बैंक परेशान है। बैंकों का गैर-निष्पादित परिसंपत्ति(एनपीए) लगातार बढ़ता जा रहा है। एेसे में बैंको पर इन डिफाॅल्टर्स पर शिकंजा कसने का दबाव भी बढ़ता जा रहा है। फरवरी माह में पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद कर्इ आैर बैंक में धोखाधड़ी के मामले उजागर हुए हैं।

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