आम जनता के लिए भी खास थी यह बैठक
आरबीआई की इस बैठक से सभी लोगों को काफी उम्मीदें थीं। इसके अलावा मौद्रिक नीति समीक्षा की यह बैठक आम जनता के लिए भी काफी खास थी क्योंकि रेपो रेट में कटौती का सीधा फायदा आम जनता को मिलता है। एमपीसी की बैठक के इस फैसले से आम लोगों के लिए बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा।
रिवर्स रेपो रेट में भी आई कमी
आपको बता दें कि रिवर्स रेपो रेट घटकर 4.90 फीसदी हो गया। रिजर्व बैंक ने सीआऱआर 4 फीसदी और एसएलआर 19 फीसदी पर बरकरार रखा है। RBI ने इस साल लगातार पांचवीं बार ब्याज दरों में कटौती की है। एमएसएफ और बैंक रेट एडजस्ट होकर 5.40 फीसदी हो गया है।
घटाया जीडीपी अनुमान
इसके अलावा रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है। आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती का फैसला इसलिए लिया है कि देश में महंगाई दर पर काबू पाया जा सके। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि निजी निवेश और मांग को बढ़ाना आरबीआई की प्राथमिकता है। बता दें कि मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 3, 4 और 5 दिसबंर 2019 को होगी।
आरबीआई गवर्नर ने पहले ही दिए थे नरमी के संकेत
गवर्नर पहले ही यह संकेत दे चुके थे कि मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए मौद्रिक नीति में नरमी की गुंजाइश बनी हुई है। वहीं राजकोषीय संभावना सीमित है। केंद्रीय बैंक पहले ही इस साल रेपो रेट में चार बार कटौती कर चुके हैं। अगस्त में हुई पिछली बैठक में एमपीसी में 0.35 फीसदी की कटौती की थी। उस कटौती के बाद रेपो रेट 5.40 फीसदी पर आ गईं थीं, लेकिन लगातार पांचवी बार हुई कटौती से ब्याज दर 5.15 फीसदी पर आ गई हैं।
इकोनॉमी को मिलेगी मजबूती
आपको बता दें कि आरबीआई ने ग्राहकों को नीतिगत दर में कटौती का लाभ तत्काल उपलब्ध कराने को लेकर बैंकों से कहा है कि वे एक अक्टूबर से अपने कर्ज को रेपो दर जैसे बाह्य मानकों से जोड़े। इससे पहले, दास ने कहा कि कंपनी कर में कटौती के साथ विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी दर में कटौती को देखते हुए सरकार के लिये राजकोषीय गुंजाइश सीमित है। ऐसे में उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिये मौद्रिक प्रोत्साहन दे।