त्योहार पर मिलेगा तोहफा: घर, कार ऋण पर पर हो सकती है कटौती
रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में चौथाई फीसदी की कटौती कर
आम लोगों को घर और कार ऋण के किस्तों में कमी कर त्योहारी उपहार दे सकता
है।
नई दिल्ली। महंगाई में लगातार नरमी बने रहने और घरेलू मांग बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में चौथाई फीसदी की कटौती कर आम लोगों को घर और कार ऋण के किस्तों में कमी कर त्योहारी उपहार दे सकता है।
अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि वैश्विक वित्तीय बाजार में जारी अनिश्चितता के साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों को यथावत बनाए रखने के बीच रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरों में अभी चौथाई फीसदी की कटौती का मौका है, क्योंकि महंगाई में नरमी का रुख बना हुआ है और मानसून के दौरान औसत से कम बारिश होने के बावजूद देश के 64 प्रतिशत क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है।
उनका कहना है कि रिजर्व बैंक के ब्याज दरों में कमी करने की प्रमुख शर्तों में से अधिकांश अभी इसके पक्ष में दिख रहा है। इसलिए केन्द्रीय बैंक मंगलवार को चालू वित्त वर्ष की ऋण एवं मौद्रिक नीति की चौथी द्विमासिक समीक्षा में ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कमी कर सकता है। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष का मानना है कि ब्याज दरों में अभी कटौती करना बेहतर है न कि इसके लिए और अधिक प्रतीक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि बेहतर नीति का सही समय पर उपयोग का अच्छी नीति का गलत समय में उपयोग की तुलना में अच्छा परिणाम मिलता है। बैंक ऑफ अमेरिका मैरिल ङ्क्षलच ने कहा है कि कमोडिटी की कीमतों में नरमी से थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई ऋणात्मक बनी हुई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई के बढऩे का कोई संकेत नहीं दिख रहा है, जबकि वैश्विक विकास में सुधार नहीं हो रहा है, अर्थव्यवस्था के अवस्फीति की ओर बढऩे से कंपनियों के मूल्य निर्धारण क्षमता प्रभावित होगी। उसने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करने से यह स्पष्ट हो गया है कि आर्थिक सुधार को मामूली गति मिली है न कि उसमें तेजी आई है। इसके मद्देनजर रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरों में कटौती का मौका है।
एक चौथाई की उम्मीद
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के अर्थशास्त्री ए. प्रसन्ना, एचएसबीसी की प्रांजुल भंडारी और जेपी मॉर्गन के जहांगीर अजीज ने रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में एक चौथाई फीसदी की कमी किए जाने की उम्मीद जताई है। उनका कहना है कि रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति बयान पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि ब्याज दरों में कटौती के साथ ही वर्ष 2017 और 2018 के लिए महंगाई लक्ष्य निर्धारण भी अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि आगे उसी के आधार पर ब्याज दरों का रुख तय होगा।
उद्योग संगठन
उद्योग संगठन एसोचैम, फिक्की और सीआईआई ने भी रेपो दरों में कमी की वकालत की है। डीबीएस बैंक का कहना है कि आरबीआई के पास रेपो दरों में 0.25 प्रतिशत कटौती की गुंजाइश है। साथ ही मूडीज ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आरबीआई ब्याज दरों में कमी कर सकता है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इसी माह रिपोर्ट में कहा था कि भारत में मध्यम और दीर्घ अवधि में महंगाई का खतरा टला नहीं है।
सभी की है मांग
महंगाई में नरमी और विकास में सुस्ती के मद्देनजर उद्योग जगत के साथ ही वित्त मंत्री अरुण जेटली, वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा, सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरङ्क्षवद सुब्रमण्यम और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी ब्याज दरों में कटौती की वकालत कर चुके हैं।
हालांकि जेटली ने इसे पूरी तरह से रिजर्व बैंक का विशेषाधिकार बताते हुए केन्द्रीय बैंक को ब्याज दरों में कटौती पर विचार करना चाहिए।
अनुकूल परिस्थितियां
खुदरा महंगाई में अगस्त में आई गिरावट और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी टालने से जहां रिजर्व बैंक (आरबीआई) पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बन रहा है, वहीं वास्तविक धरातल पर इसकी उम्मीद कम दिख रही है। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने 04 अगस्त को ऋण एवं मौद्रिक नीति की तीसरी द्विमासिक समीक्षा जारी करते हुए कहा था कि जुलाई और अगस्त में बेस अफेक्ट के कारण महंगाई दर में गिरावट दर्ज की जाएगी। बेस अफेक्ट का मतलब यह है कि पिछले साल जुलाई-अगस्त में चीजों के दाम इस कदर ऊंचे थे कि उनकी तुलना में इस साल जुलाई-अगस्त में महंगाई की दर कम नजर आएगी। अब तक के सरकारी आंकड़ों ने भी उनके अनुमान की पुष्टि की है। जुलाई में महंगाई दर घटकर 3.69 फीसदी तथा अगस्त में 3.66 फीसदी पर आ गई।
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