हर महीने वेतन का कम से कम 10 फीसदी बचाएं सैलरी के मामले में कगार पर रहकर अगले महीने का इंतजार करना उचित नहीं है। समझदारी इसमें है कि हर महीने सैलरी का कम से कम 10 फीसदी बचाया जाए। यह
काम इक्विटी फंड या डेट फंड में सिप या फिक्स्ड डिपॉजिट के जरिए किया जा सकता है।
अलग-अलग तरह के निवेश विकल्पों की तलाश करें देश में ज्यादातर परिवार इसी जानकारी के साथ बड़े होते हैं कि फिक्स्ड डिपॉजिट निवेश का एकमात्र तरीका है। सच यह है कि निवेश के तमाम विकल्प मौजूद हैं। इनमें इक्विटी, डेट म्यूचुअल फंड और स्टॉक मार्केट से लेकर गोल्ड, रीयल इस्टेट इत्यादि तक शामिल हैं। इन विकल्पों में से किसी को चुनने से पहले जोखिम लेने की क्षमता को देख लेना चाहिए।
अच्छी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जरूर लें आज में जीने की सोच अच्छी लग सकती है, लेकिन एक दुर्घटना या मेडिकल इमर्जेंसी आपकी आर्थिक हालत तहस-नहस कर सकती है। जब आप जवान होते हैं तो पहले से बीमारी होने की आशंका कम रहती है। इसलिए बीमा का प्रीमियम भी कम होता है। इस बात का इस्तेमाल 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपये तक के कवर के लिए किया जाना चाहिए।
समय से करें टैक्स प्लानिंग टैक्स बचत की प्लानिंग के लिए फरवरी या मार्च का इंतजार न देखें। वित्त वर्ष की शुरुआत यानी अप्रैल से ही इस दिशा में काम करने लगें। सैलरी का ब्योरा मिलते ही टैक्स देनदारी निकाल लें। उन सभी विकल्पों को खंगाल लें जिनमें टैक्स बचत हो सकती है।
इमर्जेंसी के लिए जरूर रखें पैसे नौकरी जाने, दुर्घटना या बीमारी इत्यादि से आर्थिक स्थिति पर खासा असर पड़ता है। एक बार आपको अपने मासिक खर्चों के पैटर्न का पता चल जाता है तो यह इमर्जेंसी फंड भविष्य में होने वाली किसी अप्रिय घटना में काम आता है।
योजना पर टिके रहें इस तरह की योजना बनाने का कोई फायदा नहीं है जो केवल कागज पर मौजूद है। इसलिए अनुशासन में रहना बेहद जरूरी है। तभी आप सभी खर्चों पर नजर रख सकेंगे। इसी के बाद योजना के अनुसार निवेश का रास्ता खुलेगा।