यदि फिरोजाबाद सीट पर वोट समीकरण देखें तो 16 लाख से ज्यादा मतदाताओं वाली इस सीट पर 5 लाख के करीब यादव वोटर हैं, जबकि करीब तीन लाख लोध वोटर हैं। यानी यादव वोटर के बाद दूसरे पायदान पर लोध वोटर हैं। चूंकि शिवपाल की जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत बतायी जाती है, इस लिहाज से ये स्पष्ट है कि वे भतीजे अक्षय यादव को कड़ी टक्कर देंगे। इससे यादव वोट दोनों के बीच बंट जाएगा।
हालांकि इस बीच अक्षय को बसपा के दलित वोट का लाभ मिलेगा क्योंकि मायावती की शिवपाल से दुश्मनी जगजाहिर है और वे हर हाल में दलितों का एकमुश्त वोट गठबंधन प्रत्याशी अक्षय यादव को दिलाने की कोशिश में रहेंगी, लेकिन शिवपाल यादवों का मुस्लिम वोट काटने में कामयाब हो सकते हैं। इसका कारण है कि एक ओर शिवपाल की मुस्लिम के बीच अच्छी पैठ है, वहीं पूर्व सपा विधायक अजीम भाई इस बार शिवपाल का साथ दे रहे हैं। उनकी शहर के मुसलामानों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। लिहाजा पूरी उम्मीद है कि शिवपाल मुस्लिमों का अच्छा खासा वोट पाने में कामयाब हो जाएं। यानी यादव परिवार के पारंपरिक वोटर दो हिस्सों में बंटने तय हैं। इसी का फायदा उठाकर भाजपा यादवों के गढ़ में सेंधमारी करेगी।
यादव परिवार की आपसी लड़ाई का फायदा उठाने के लिए बीजेपी ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है। रणनीति के तहत बीजेपी ने इस बार लोध राजपूत जाति के चन्द्रसेन को यहां से उम्मीदवार बनाया है। चंद्रसेन को प्रत्याशी बनाने से शहर के दूसरे पायदान के वोटर बीजेपी के खेमे में आएंगे। वहीं भाजपा का पारंपरिक सवर्ण वोटर भी उसके साथ रहेगा। सवर्णों में 1.65 लाख ठाकुर, 1.47 लाख ब्राह्मण वोटर हैं। इसमें यदि वैश्य और कायस्थ वोटर को मिला दिया जाए तो सवर्ण वोटरों की संख्या करीब पांच लाख के आसपास रहेगी। इस लिहाज से भाजपा को यदि सवर्णों के साथ लोध राजपूतों के वोट मिल गए तो यादव परिवार के तिलिस्म को तोड़ा जा सकता है। अपनी इस रणनीति को कामयाब बनाने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। यही कारण है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने खुद यहां आकर रैली को संबोधित किया।