थाना क्षेत्र के गांव हबीपुर उसायनी निवासी अशोक दिवाकर मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करते हैं। उनके चार बेटे-बेटियां थे। सबसे बड़ी 11 वर्षीय खुशबू दिवाकर उच्च प्राथमिक विद्यालय में कक्षा छह में पढ़ती थी उससे छोटा बेटा नौ वर्षीय गौतम दिवाकर कक्षा चार में पढ़ता था। संजना और डब्बू घर पर रहते थे। रविवार दोपहर करीब 12 बजे खुशबू और गौतम प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र उसायनी के पीछे बने तालाब पर मिट्टी लेने गए थे।
तभी गौतम गहराई में चला गया और डूबने लगा। बचाने पहुंची बहन भी गहरे पानी में चली गई। बच्चों की चीख पुकार सुनकर आस-पास के ग्रामीण उन्हें बचाने पहुंचे लेकिन गहराई में चले जाने के कारण वह दिखाई नहीं दे सके। सूचना पर राजा का ताल चैकी प्रभारी अशोक कुमार मौके पर पहुंच गए। ग्रामीणों की मदद से करीब एक घंटे तक दोनों के शवों को बाहर निकाला जा सका। तसल्ली के लिए परिजन दोनों को ट्राॅमा सेंटर ले गए। जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दो बच्चों की मौत के बाद परिवार में कोहराम मच गया। परिवारीजनों का रो-रोकर बुरा हाल था।
मिट्टी के खिलौने बनाने के लिए गांव से आठ बच्चे तालाब पर मिट्टी लेने आए थे। उन्हीं के साथ खुशबू और गौतम भी मिट्टी लेने आ गए थे। सभी बच्चे बाहर से मिट्टी ले रहे थे जबकि गौतम थोड़ी अंदर चला गया था। तभी उसका पैर फिसला और वह अंदर चला गया। भाई को बचाने के लिए जब बहन अंदर गई तो वह भी फिसल गई। बच्चों ने ही गांव में जाकर सूचना दी थी।
मृतकों के पिता अशोक का कहना है कि उसे क्या पता था उसका भगवान उससे रूठ जाएगा। एक साथ दोनों बच्चों की जिंदगी मुझसे छींन लेगा। मजदूरी करके बच्चों को पढ़ा लिखा रहा था। ऐसा पता होता तो बच्चों को कभी नहीं भेजता।
एक साथ भाई-बहन के शवों को देखकर हर किसी की आंख नम हो रही थी। ग्रामीण भाई-बहन के प्रेम की दुहाई देते नहीं थक रहे थे। ग्रामीणों का कहना था कि यदि खुशबू भाई को बचाने अंदर नहीं जाती तो शायद उसकी जान नहीं जाती।