गांव के मुहाने पर एक सब्जी की ठेल लगी थी। उसके आस-पास कुछ लोग आपस में गपशप कर रहे थे। उनसे पूछा कि आप लोग बाहर क्यों बैठे हैं तो जवाब मिला कि घर में ही क्या करें। यहां बैठकर समय पास हो जाता है। थोड़ा और अंदर जाने पर गांव के ही अशरफ मियां ने बताया कि अल्ला की इबादत करके आए हैं।
एक चबूतरे पर कुछ लोग बैठकर ताश की गड्डी फेंट रहे थे। जब उनसे कहा कि कोरोना का आपको भय नहीं है वह बोले वह गांव में थोड़े ही न आता है। वह तो विदेश में रहने वाले लोगों को होता है और हमारे गांव में कोई भी विदेश से नहीं आया। उन्हें कोरोना के बारे में विस्तार से बताया। गांव के बीचों बीच एक बालिका चबूतरा साफ कर रही थी। उसके चारों ओर उसके परिवार के लोग बैठे थे। सब्जी की दुकान पर करीब 15 लोग कोरोना को लेकर बातें करते नजर आए। कई स्थानों पर दो से तीन लोग आपस में चर्चा करते दिखे। अधिकतर लोगों को कोरोना के बारे में जानकारी नहीं थी। कुछ ही लोग बता सके कि कोरोना एक वायरस है तो छूने से फैलता है।