प्रदेश सरकार ने सरकारी दवाओं के वितरण के लिए पारदर्शिता और एकरूपता रखने के उद्देश्य से जुलाई में पोर्टल शुरू किया था। इसी पोर्टल पर भी अस्पतालों को दवा के मद के लिए बजट का आवंटन किया जाता है। फंड के अनुरूप ही अस्पताल प्रशासन अपनी जरूरत की दवाओं का आर्डर दे सकता है। इस पोर्टल पर वही कंपनियां पंजीकृत हैं जिनका शासन से रेट कांट्रेक्ट है।
आर्डर के 45 दिन के अंदर कंपनी को दवा की आपूर्ति देनी होती है। यही पोर्टल अब सरकारी अस्पतालों के लिए मुसीबत बन गया है। कई कंपनियां आर्डर देने के बाद भी दवाओं की आपूर्ति नहीं कर पा रही हैं। जिला अस्पताल में यह जरूरी दवाएं समाप्त होने की कगार पर हैं। चिकित्सकों के अनुसार यह दवाएं सर्दियों में काफी जरूरतमंद होती हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जून 2017 से अब तक इस पोर्टल पर 152 दवाओं के आर्डर लगाए गए हैं लेकिन अब तक केवल 53 दवाओं की ही आपूर्ति दी गई है। जुन, जुलाई में लगाए गए आर्डर भी कंपनियों ने नहीं भेजे हैं।
अस्पताल में हो रही परेशानी
सीएमएस डॉक्टर आरके पाण्डेय का कहना है कि कंपनियां आर्डर के बाद भी दवाएं नहीं भेज रही हैं। इससे अस्पताल में परेशानी खड़ी हो रही है। पोर्टल पर आर्डर करते ही धनराशि कट जाती है। दवा की आपूर्ति के लिए 45 दिन का समय कंपनी को दिया जाता है। इस समयावधि के पूर्ण होने के बाद 15 दिन का समय और दिया जाता है। ऐसे में यदि दवा की आपूर्ति नहीं की जाती है तो 60 दिन बाद धनराशि वापस आ जाती है। इस 60 दिन के अंदर अस्पताल प्रशासन दूसरी कंपनी से दवा भी नहीं खरीद पाता। वहीं जिला अस्पताल में डॉक्टर्स की भी कमी है।